उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड की धामी सरकार अगले बजट सत्र में सख्त भू-कानून का बिल लाने जा रही है। राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसकी घोषणा की है। इतना ही नहीं सीएम धामी का कहना है कि सरकारी जमीनों को कब्जा मुक्त कराने के साथ ही लैंड माफिया पर एक्शन जारी रहेगा। मुख्यमंत्री धामी का कहना है कि सरकार ने राज्यहित में कई निर्णय लिए हैं। इसके साथ ही पांच हजार से भी अधिक सरकारी जमीन जो गैरकानूनी रूप से कब्जे में थी, उसको अतिक्रमण से मुक्त कराया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले बजट सत्र में एक सख्त भूकानून भी लाने की सरकार तैयारी कर रही है। वहीं मुख्यमंत्री के सख्त भूकानून के ऐलान के साथ उत्तराखंड शासन के वरिष्ठ अधिकारी एक्शन में आ गये हैं। सीएम के निर्देश पर राज्य की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने अधिकारियों की बड़ी बैठक बुलाई बैठक में मुख्य सचिव ने भू कानून के प्रावधानों के विपरीत भूमि की खरीद फरोख्त के साथ ही भूमि खरीद सम्बंधित अनुमति के किसी भी प्रकार के उल्लंघन पर रिपोर्ट तलब की है। हांलाकि शासन को 13 में से 11 जिलों की ही रिपोर्ट मिल पाई है। शेष दो जिलो से रिपोर्ट आना बाकी है। बता दें कि उत्तराखंड में हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर सश्क्त भू कानून लागू करने की मांग की जा रही है। इसके लिए आंदोलन किये जा रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि सरकार यूसीसी और धार्मिक मुद्दों पर ही ध्यान देकर प्रदेश के असल मुद्दों से जनता का ध्यान हटा रही है. सवाल ये है कि क्या मुख्यमंत्री धामी राज्य में सश्क्त भू कानून लागू कर पाएंगे, क्या सरकार का ध्यान प्रदेश के असली मुद्दों पर नहीं है।
उत्तराखंड में सख्त भू कानून लागू करने की मांग के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अगले बजट सत्र में सख्त भू-कानून का बिल लाने का ऐलान किया है। इसके साथ ही अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई को जारी रखने का दावा किया है। मुख्यमंत्री का कहना है कि इस अभियान के तहत प्रदेश की पांच हजार से भी अधिक सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाले बजट सत्र में एक सख्त भूकानून भी लाने की सरकार तैयारी कर रही है। वहीं विपक्ष का आरोप है कि सरकार का ध्यान राज्य के असली मुद्दों पर नहीं है। सरकार यूसीसी और धार्मिक मुद्दों पर ध्यान दे रही है..वहीं यूकेडी ने तो यूसीसी के विरोध में आंदोलन भी शुरू कर दिया है। साथ ही सरकार से यूसीसी हटाकर राज्य में सख्त भू कानून लागू करने की मांग की है
आपको बता दें कि उत्तराखंड में पिछले लंबे समय से सश्क्त भू कानून और मूल निवास की मांग की जा रही है। सरकार की ओर से पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में भू कानून के लिए एक कमेटी भी गठित की गई थी…इस गठित भू कानून समिति ने सितंबर 2022 में धामी सरकार को अपनी सिफारिशें सौंप दी थी।लेकिन शासन स्तर पर समिति की सिफारिशों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। वहीं उत्तराखंड में समय समय पर भू कानून को लेकर संसोधन किए गए है..इसके तहत तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में भू कानून में संशोधन करते हुए। जमीन खरीद की बाध्यता को समाप्त कर दिया जाता है। जिसको लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है…वहीं मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद शासन के वरिष्ठ अधिकारी एक्शन में आ गये हैं। सीएम के निर्देश पर राज्य की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने अधिकारियों की बड़ी बैठक बुलाई बैठक में मुख्य सचिव ने भू कानून के प्रावधानों के विपरीत भूमि की खरीद फरोख्त के साथ ही भूमि खरीद सम्बंधित अनुमति के किसी भी प्रकार के उल्लंघन पर रिपोर्ट तलब की है।
कुल मिलाकर राज्य में एक बार फिर सश्क्त भू कानून और मूल निवास के मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। एक तरफ जहां भाजपा यूसीसी समेत अन्य सख्त कानून बनाने को सीएम धामी का मास्टर स्ट्रोक बता रही है। तो वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल सरकार पर प्रदेश के असल मुद्दों से ध्यान भटकाने का आरोप लगा रहे हैं। ऐसे में सवाल ये है कि क्या धामी सरकार राज्य में सश्कत भू कानून और मूल निवास 1950 लागू करने के लिए गंभीर है, क्या सरकार प्रदेश के असल मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है. देखना होगा मुख्यमंत्री की घोषणा धरातल पर कब उतरती है