झारखंड में राहुल गांधी ने बीजेपी पर बोला बड़ा हमला, कहा- “BJP एक धर्म को दूसरे धर्म से लड़ाती है…”

KNEWS DESK,  कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने झारखंड के सिमडेगा में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर जोरदार हमला बोला। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि बीजेपी हर जगह लोगों के बीच धर्म, भाषा और भाई-भाई में फूट डालने की कोशिश करती है। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी की विचारधारा के कारण मणिपुर में हिंसा फैली है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां की स्थिति को लेकर अब तक कोई गंभीर कदम नहीं उठाए हैं।

राहुल गांधी ने रैली में कहा, “BJP के लोग जहां भी जाते हैं, वे एक भाई को दूसरे भाई से, एक धर्म को दूसरे धर्म से, और एक भाषा को दूसरी भाषा से लड़ाते हैं। उनका काम है लोगों को आपस में लड़ाना।” उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी का यह तरीका देश की सामाजिक एकता के लिए खतरे की घंटी है। वहीं राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा का भी जिक्र किया और कहा कि इस यात्रा का उद्देश्य पूरे देश को एकता के सूत्र में बांधना था। उन्होंने यात्रा के नारे “नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान” का हवाला देते हुए कहा कि यह नारा उस सिद्धांत का प्रतीक है, जिसमें हिंदुस्तान के लोग एक-दूसरे से प्यार और भाईचारे से रहें। राहुल गांधी ने यह स्पष्ट किया कि उनका और उनकी पार्टी का लक्ष्य देश में प्रेम और सद्भाव का माहौल बनाना है न कि बीजेपी की तरह विभाजन की राजनीति करना।

राहुल ने अपने भाषण में यह भी बताया कि देश की लगभग 90% आबादी विभिन्न सामाजिक और आर्थिक वर्गों से संबंधित है, जिसमें OBC, दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक शामिल हैं। हालांकि राहुल गांधी ने कहा कि इन वर्गों के लोग देश की बड़ी कंपनियों के शीर्ष पदों पर नहीं पहुंच पाते। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “देश में करीब 50% OBC, 15% दलित, 8% आदिवासी और 15% अल्पसंख्यक वर्ग के लोग हैं, लेकिन इनका प्रतिनिधित्व सरकार और बड़ी कंपनियों के उच्च पदों पर नहीं मिलता।”

राहुल ने यह भी कहा कि अगर आदिवासी वर्ग का कोई अफसर देश की सरकार में महत्वपूर्ण निर्णय लेता है, तो उस निर्णय का प्रभाव बहुत सीमित होता है। उन्होंने इसे एक उदाहरण के तौर पर पेश करते हुए कहा कि अगर सरकार के 100 रुपये खर्च किए जाते हैं, तो आदिवासी अफसर केवल 10 पैसे का निर्णय लेता है। इस प्रकार उन्होंने देश की सत्ता में आदिवासी और अन्य कमजोर वर्गों की उपेक्षा पर जोर दिया।

 

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