KNEWS DESK – लोकप्रिय लोक गायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार रात दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। बिहार की स्वर कोकिला कही जाने वाली शारदा सिन्हा के इस दुखद निधन ने देशभर में उनके प्रशंसकों को शोक में डुबो दिया है। छठ गीतों में अपनी अनोखी आवाज और संगीत के माध्यम से अपनी संस्कृति का मान बढ़ाने वाली शारदा सिन्हा की कला और योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने अपनी मां के सम्मान के लिए सरकार से पद्म विभूषण पुरस्कार की अपील की है।
पद्म विभूषण सम्मान की मांग
अंशुमान सिन्हा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनकी मां को अब तक जो सम्मान मिलना चाहिए था, वह था पद्म विभूषण, जो भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है। शारदा सिन्हा ने अपने जीवन में लोक संगीत को एक नई पहचान दी और भारतीय संगीत जगत में अपनी एक अमिट छाप छोड़ी। अंशुमान का कहना है कि उनकी मां ने कभी किसी बात की शिकायत नहीं की और हर परिस्थिति में संतुष्ट रहीं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर शारदा सिन्हा को मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया जाता है, तो यह उनके लाखों-करोड़ों प्रशंसकों के लिए एक बड़ी खुशी होगी।
अंतिम पलों की यादें
अंशुमान ने अपनी मां के आखिरी दिनों के बारे में भी खुलासा किया। उन्होंने बताया कि शारदा सिन्हा गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं और एम्स के ओंकोलॉजी विभाग में उनका इलाज चल रहा था। अंशुमान ने बताया कि शारदा जी को खुद इस बात का आभास हो गया था कि उनका अंत समय नजदीक है। वेंटिलेटर पर जाने से पहले, शारदा जी ने अपने बच्चों को समझाया कि अब उन्हें आत्मनिर्भर होकर आगे बढ़ना चाहिए। यह उनके लिए एक बेहद भावुक क्षण था।
अंशुमान ने बताया, “मां ने हमसे बार-बार यही कहा कि अब उनके लिए यह जीवन बहुत कठिन हो रहा है। उन्होंने हमें जीवन में आत्मनिर्भर और मजबूत बनने का संदेश दिया। अपने अंतिम समय में भी, उन्होंने हमें सिखाया कि संतुष्टि और साहस के साथ जीना चाहिए।”
शारदा सिन्हा की संगीत यात्रा
शारदा सिन्हा का संगीत का सफर न केवल छठ पर्व के गीतों तक सीमित रहा, बल्कि उन्होंने बॉलीवुड में भी अपनी अनोखी आवाज का जादू बिखेरा। ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर 2’ का प्रसिद्ध गीत ‘तार बिजली’ उनकी ही आवाज में था, जिसे आज भी शादी-ब्याह और अन्य समारोहों में खूब पसंद किया जाता है। इस गीत ने उन्हें एक नई पहचान दी और उनके संगीत को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया।
बिहार की बेटी शारदा सिन्हा ने संगीत की दुनिया में जिस तरह से लोकगीतों को समृद्ध किया, वह अनमोल है। उनकी आवाज में छठ गीत ‘केलवा के पात पर उगेलन सुरुजमल’ जैसे गीतों ने उन्हें एक अमर पहचान दी है। उनके निधन से लोक संगीत के एक युग का अंत हो गया है, लेकिन उनकी कला और उनकी आवाज सदियों तक जीवित रहेगी।