दिवाली पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति खरीदते समय न करें ये गलतियां, आइए जानते हैं खरीदारी करते हुए किन बातों का ध्यान रखना है बेहद जरूरी

KNEWS DESK – दिवाली का पर्व मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का प्रमुख अवसर है। इस दौरान लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों को खरीदते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। एक छोटी-सी गलती भी आपके जीवन में परेशानियों का कारण बन सकती है। आइए जानते हैं मूर्ति खरीदते समय किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

मूर्तियां खरीदते समय ध्यान रखें

दिवाली के अवसर पर लक्ष्मी पूजन के लिए धनतेरस तिथि पर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की मूर्तियाँ घर लाना एक प्रथा है। धनतेरस पर की जाने वाली खरीदारी का विशेष महत्व है, जिसमें लोग भगवान की मूर्तियों के साथ-साथ अन्य सामान भी खरीदते हैं। इन मूर्तियों की पूजा दिवाली के दिन की जाती है। हालांकि, कई बार लोग अज्ञानता या त्रुटिवश गलत मूर्तियाँ खरीद लेते हैं, जो पूजा के लिए शुभ नहीं मानी जाती हैं। आइए जानते हैं किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और कौन सी मूर्तियाँ खरीदना उचित नहीं है:

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1. मुद्रा का ध्यान

लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां खरीदते समय यह सुनिश्चित करें कि दोनों deity बैठी हुई मुद्रा में हों। खड़ी मुद्रा में भगवान की मूर्ति घर में लाना अशुभ माना जाता है।

2. गणेश जी की सूंड

भगवान गणेश की सूंड का दिशा महत्वपूर्ण होती है। पूजा के लिए गणेश जी की मूर्ति की सूंड बाईं ओर होनी चाहिए। इसके साथ ही, उनके हाथ में मोदक और उनके वाहन चूहा का होना भी शुभ माना जाता है।

3. मां लक्ष्मी की मूर्ति

जब मां लक्ष्मी की मूर्ति खरीदें, तो यह सुनिश्चित करें कि वह कमल के फूल पर विराजमान हों। उनका दाहिना हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में और बायां हाथ कमल पुष्प धारण किए हुए होना चाहिए।

4. मूर्तियों का आपस में जुड़ा होना

कभी भी भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की आपस में जुड़ी हुई मूर्तियां न खरीदें। यह अशुभ माना जाता है और इससे पूजा में बाधा आ सकती है।

5. मिट्टी से बनी मूर्तियां

मूर्ति किस सामग्री से बनी है, यह भी महत्वपूर्ण है। लक्ष्मी-गणेश की मिट्टी से बनी मूर्तियां शुभ होती हैं, जबकि सीमेंट और पीओपी से बनी मूर्तियां शुभ नहीं मानी जातीं।

6. रंग और परिधान

मूर्ति के रंग और परिधान का भी ध्यान रखना चाहिए। गुलाबी, सुनहरी, लाल, कत्थई, और गहरे पीले रंग की मूर्तियां अधिक शुभ मानी जाती हैं। इसके अलावा, मूर्तियों के परिधान हमेशा भारतीय और राजसी होने चाहिए।

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