उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, त्यौहारी सीजन में बढ़ती हुई महंगाई ने आम जनता का बजट बिगाड़ दिया है। आलम ये है कि पेट्रोल डीजल, रसोई गैस के साथ ही खाने पीने का सामान,फलों और सब्जियों के दाम सब कुछ आसमान छु रहे हैं। वहीं सब्जियों के बढ़ते दामों ने आम लोगों की थाली का स्वाद भी बिगाड़ दिया है.और आए दिन इनके दाम रिकॉर्ड बना रहे हैं। आलम ये है कि प्याज,टमाटर, अदरक, लहसुन जैसी तमाम सब्जियां शतक मार चुकी है। फलो के दाम तो पहले ही लोगों को रूला रहे थे…वहीं आरबीआई के ताजा आंकड़ों के अनुसार, सब्जियों की कीमतों में जितना उछाल वित्त वर्ष 2011-12 से 2019-20 की अवधि के दौरान आया, उससे ज्यादा तेजी चालू वित्त वर्ष के छह महीनों में दर्ज की गई है। यही स्थिति दालों की भी रही है। आरबीआई ने मौद्रिक नीति रिपोर्ट में खाद्य वस्तुओं की महंगाई को लेकर भी अध्ययन किया है जिसके मुताबिक सब्जियां छह माह में इतनी महंगी हुई है जितनी की दस साल में नहीं हुई है। बढ़ती महंगाई के पीछे कई तर्क दिये जा रहे हैं। माना जा रहा है कि बेमौसमी बारिश, घटती कृषि, बढ़ता शहरीकरण जैसी तमाम वजहें महंगाई के पीछे बताई जा रही है। बता दें कि उत्तराखंड में खेती की जमीन तेजी से घट रही है। कृषि विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2011-12 से वर्ष 2022-23 के बीच कृषि भूमि 17 प्रतिशत तक कम हुई है। वहीं उत्पादन में तीन हजार मीट्रिक टन की भी कमी आई है। वहीं विपक्ष का कहना है कि सत्ता में आने से पहले बहुत हुई महंगाई की मार का नारा देने वाली सरकार के राज में महंगाई आउट आफ कंट्रोल है लेकिन सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। सवाल ये है कि आखिर आर्थिक महाशक्ति के दावे के बीच बढ़ती महंगाई से आम जन को कैसे राहत मिलेगी
देशभर में आगामी त्यौहार को लेकर तैयारी तेज हो गई है। दिपावली से व्यापारियों को अच्छे कारोबार की उम्मीद हैं। हांलाकि बढ़ती महंगाई के चलते आम जनता खुलकर खर्च करने से परहेज कर रही है। अमुमन दिवाली के समय ज्वैलरी और गाड़ियों का कारोबार चमका रहता था, लेकिन मौजूदा समय में यहां ग्राहकों की खरीदारी धीमी पड़ी है। तमाम आफर्स देने के बाद भी कारों की खरीदारी के लिए खरीदार नहीं पहुंच रहे हैं। मोदी सरकार भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का दावा कर रही है। लेकिन बढ़ती महंगाई ने आम जनता और कारोबारियों की कमर तोड़ कर रख दी है।
वहीं आरबीआई के ताजा आंकड़ों के अनुसार, सब्जियां पिछले छह माह में इतनी महंगी हुई है जितनी की पिछले दस साल में नहीं हुई है। बढ़ती महंगाई के पीछे कई तर्क दिये जा रहे हैं। माना जा रहा है कि बेमौसमी बारिश, घटती कृषि, बढ़ता शहरीकरण जैसी तमाम वजहें महंगाई के पीछे बताई जा रही है। बता दें कि उत्तराखंड में खेती की जमीन तेजी से घट रही है। कृषि विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2011-12 से वर्ष 2022-23 के बीच कृषि भूमि 17 प्रतिशत तक कम हुई है। वहीं उत्पादन में तीन हजार मीट्रिक टन की भी कमी आई है।
कुल मिलाकर एक ओर जहां मोदी सरकार भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का दावा कर रही है। तो वहीं दूसरी ओर देश की जनता बढ़ती महंगाई के बोझ में दबी हुई है। और लगातार यह महंगाई आम जनमानस की कमर तोड़ रही है। वहीं आम जनता की कमर टुटने से व्यापार भी प्रभावित हो रहा है. ऐसे में देखना होगा कि आखिर कब सरकार बढ़ती महंगाई पर कबतक रोक लगा पाती है