KNEWS DESK- जम्मू-कश्मीर के लिए एक नई सुबह की शुरुआत हुई है, जब रविवार देर रात राष्ट्रपति शासन को समाप्त कर दिया गया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की, जिससे केंद्र शासित प्रदेश में नई सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
नई सरकार का नेतृत्व
हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन ने बहुमत हासिल किया। अब उमर अब्दुल्ला, जो नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष हैं, जम्मू-कश्मीर के अगले मुख्यमंत्री होंगे। उन्हें गठबंधन का नेता चुना गया है और उनकी पार्टी ने 31 अक्टूबर 2019 के बाद पहली बार प्रदेश में चुनावी जीत दर्ज की है।
अधिसूचना में क्या कहा गया?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा हस्ताक्षरित अधिसूचना में उल्लेख किया गया है कि जम्मू-कश्मीर के संबंध में 31 अक्टूबर 2019 का आदेश, जो राष्ट्रपति शासन को लागू करता था, अब निरस्त किया जा रहा है। यह कदम अनुच्छेद 239 और 239ए के तहत उठाया गया है, जो केंद्र सरकार को राज्य की प्रशासनिक स्थिति को नियंत्रित करने की अनुमति देता है।
राष्ट्रपति शासन क्या है?
संविधान के अनुच्छेद 352 के अनुसार, यदि राष्ट्रपति को लगता है कि राज्य सरकार संविधान के अनुसार कार्य नहीं कर रही है, तो वह राष्ट्रपति शासन लागू कर सकते हैं। इससे राज्य का प्रशासन सीधे राष्ट्रपति के अधीन आ जाता है। जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन जून 2017 से लागू था, जब महबूबा मुफ्ती की सरकार गिर गई थी।
पिछले वर्षों का संक्षिप्त विश्लेषण
जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन का कार्यकाल कई राजनीतिक घटनाक्रमों से भरा रहा है। 2017 में पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार के गिरने के बाद से राज्य में राजनीतिक अस्थिरता देखी गई। इसके बाद, अक्टूबर 2019 में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया, जिससे इसे केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया।
अब जब राष्ट्रपति शासन हटा लिया गया है, उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में नई सरकार के गठन की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ेगी। यह परिवर्तन न केवल स्थानीय राजनीति में नई ऊर्जा लाएगा, बल्कि विकास और प्रशासन में भी महत्वपूर्ण बदलाव लाने की संभावना रखता है। इस समय जम्मू-कश्मीर के लोग एक नई आशा के साथ भविष्य की ओर देख रहे हैं।
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