जेपीएनआईसी: 100 करोड़ में लीज पर लेने वालों की कमी नहीं, फिर भी निर्णय अधर में

KNEWS DESK-  समाजवादी नेता जय प्रकाश नारायण की जयंती पर लखनऊ स्थित जय प्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (जेपीएनआईसी) एक बार फिर चर्चा में आया है। इस बहुउद्देशीय सम्मेलन केंद्र का निर्माण 2013 में शुरू हुआ था, लेकिन इसके निर्माण और संचालन में आई रुकावटों ने इसे विवादों में डाल दिया है।

जेपीएनआईसी को 18.6 एकड़ में फैला एक आधुनिक सम्मेलन केंद्र के रूप में डिजाइन किया गया था, जिसमें 2,000 लोगों की क्षमता वाला कन्वेंशन हॉल, 107 कमरों वाला लग्जरी होटल, विभिन्न खेल सुविधाएं जैसे बैडमिंटन, टेनिस और डाइविंग पूल, और यहां तक कि एक ओपन एयर रेस्तरां और हेलीपैड भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, इसमें 1200 वाहनों की क्षमता वाली बहुमंजिला कार पार्किंग और जय प्रकाश नारायण के जीवन और विचारों से संबंधित एक संग्रहालय भी स्थापित किया गया है।

निर्माण में बाधाएं

हालांकि, केंद्र का निर्माण लगभग 90 फीसदी पूरा हो चुका है, लेकिन इसकी भव्यता अब एक खंडहर में बदलने की कगार पर है। सरकार ने जेपीएनआईसी को लीज पर देने की योजना बनाई, लेकिन इसके लिए आवश्यक 100 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी गई है। इसके चलते, पिछले सात सालों से बंद यह इमारत धीरे-धीरे बेकार होती जा रही है। इसके अंदर लगे एसी, लिफ्ट और अन्य उपकरण बिना काम किए ही खराब हो रहे हैं।

भ्रष्टाचार के आरोप

2017 में योगी सरकार के आने के बाद, आवास राज्यमंत्री सुरेश पासी ने जेपीएनआईसी में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, जिसके बाद सरकार ने जांच का आदेश दिया। लेकिन अभी तक उस जांच की रिपोर्ट नहीं आई है। इस बीच, संजय शर्मा ने हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल की, जिसमें उन्होंने कहा कि यह केंद्र करदाताओं के पैसे से बना है और इसे बचाने की जरूरत है। हालांकि, इसके बाद निर्माण कार्य फिर से रुका हुआ है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर सरकार की नाकामी की आलोचना की है। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर सरकार इस केंद्र को नहीं चला सकती है, तो इसे बेच देना चाहिए। इससे कम से कम नए मालिक द्वारा इसका संचालन हो सकेगा।

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