रोजगार पर सवाल, बेरोजगारी पर बवाल !

Knews Desk, देवभूमि उत्तराखंड में बेरोजगारी पर मचे हंगामें के बीच धामी सरकार को राहत देने वाली रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड में एक साल के दौरान युवा बेरोजगारी में 4.4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। ये खुलासा पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे की रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड ने राष्ट्रीय औसत को भी पीछे छोड़ दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक धामी सरकार का सरकारी और गैर सरकारी में युवाओं को रोजगार देने पर फोकस है। वहीं मुख्यमंत्री धामी का कहना है कि सरकार की प्राथमिकता युवाओं को रोजगार के अवसर मुहैया कराना है। अबतक सरकार ने ऐतिहासिक 17 हजार से ज्यादा नियुक्तियां प्रदान की है। वहीं इस रिपोर्ट के आंकड़ों को विपक्ष और बेरोजगार युवाओं ने हवा हवाई बताया है। वहीं इस रिपोर्ट के बीच बेरोजगार युवा अपनी विभिन्न मांगों को मनाने के लिए टंकी पर चढ़ गये. बता दें कि उत्तराखंड बेरोजगार संघ से जुड़े बेरोजगार युवा पिछले लंबे समय से सरकारी विभागों में भर्ती खोलने के साथ ही अपनी कई मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। पिछले 13 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे बेरोजगार युवाओं का स्वास्थ्य भी खराब हो गया है..इसके बाद भी सरकार की ओर से बेरोजगारों की सुध नहीं ली जा रही है। जिससे युवाओं में खासी नाराजगी है। वहीं बेरोजगारों ने भी साफ कर दिया है कि जब तक सरकार उनकी मांगें नहीं मानेगी तब तक वह आंदोलन जारी रखेंगे। सवाल ये है कि एक ओर तो बेरोजगारी घटने का दावा है तो दूसरी ओर बेरोजगार युवा नौकरी के लिए आंदोलन की राह पर है….ऐसे में इस रिपोर्ट के दावों में कितना दम है

 

धामी सरकार के राज में उत्तराखंड में बेरोजगारी की दर में गिरावट आई है। हाल ही में आई पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे की रिपोर्ट में इसका दावा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक श्रमिक जनसंख्या औसत में उत्तराखंड ने राष्ट्रीय औसत को भी पीछे छोड़ दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 15 से 29 वर्ष के आयु वर्ग में बेरोजगारी में 4.4 फीसदी की कमी आई है। इसके साथ ही रोजगार देने में उत्तराखंड अव्वल है इसके भी दावे किये गये हैं। वहीं मुख्यमंत्री धामी का कहना है कि सरकार की प्राथमिकता युवाओं को रोजगार के अवसर मुहैया कराना है। अबतक सरकार ने ऐतिहासिक 17 हजार से ज्यादा नियुक्तियां प्रदान की है। वहीं इस रिपोर्ट के आंकड़ों को विपक्ष ने हवा हवाई बताया है।

 

 

आपको बता दें कि उत्तराखंड में विभिन्न सरकारीसहायतित और सार्वजनिक उपक्रमों में अधिकारियों और कर्मचारियों के करीब 65 हजार से ज्यादा पद रिक्त चल रहे हैं। वहीं एक ओर जहां उत्तराखंड में बेरोजगारी घटने का दावा किया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर राज्य के बेरोजगार युवा आंदोलन को मजबूर है। बेरोजगार युवा मुख्यमंत्री आवास कूच के साथ ही तमाम तरह के धरना प्रदर्शन के बाद भूख हड़ताल और उग्र आंदोलन को मजबूर है। सरकार तक अपनी मांगें मनवाने के लिए बेरोजगार युवा टंकी पर चढ़ गये वहीं पिछले 13 दिनों से बैठे बेरोजगार युवाओं का स्वास्थ्य भी खराब हो गया है लेकिन अबतक सरकार ने इन युवाओं की सूध नहीं ली है…वहीं भाजपा का दावा है कि सरकार युवाओं को रोजगार देने की दिशा में कार्य कर रही है। इंवेस्टर्स समिट के साथ ही युवाओं को नियुक्ति पत्र वितरित किये जा रहे हैं।

 

 

कुल मिलाकर धामी सरकार को पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे की रिपोर्ट ने तो राहत दी है लेकिन बेरोजगारी के मुद्दे पर अभी भी सरकार के सामने कई तरह की चुनौती है। इस बीच बेरोजगार युवाओं के आंदोलन ने सरकार की टेंशन को बढ़ा दिया है। हांलाकि अबतक सरकार की ओर से युवाओं की मांगों पर सकारात्मक कार्रवाई ना होने से बेरोजगारों में खासी नाराजगी है। देखना होगा सरकार कबतक इन युवाओं की मांगों को पूरा करती है।

 

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट 

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