KNEWS DESK- पश्चिम बंगाल के दक्षिणी क्षेत्र में बाढ़ की विकराल स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में उन्होंने दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) द्वारा पानी छोड़े जाने के निर्णय को एकतरफा करार दिया है, जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्र में बाढ़ आई है।
डीवीसी के निर्णय पर असहमति
ममता बनर्जी ने अपनी चिट्ठी में स्पष्ट किया कि जल शक्ति मंत्रालय के दावे के विपरीत, डीवीसी के बैरेज से पानी छोड़ने का निर्णय बिना राज्य सरकार की सहमति के लिया गया। उन्होंने बताया कि जलाशयों से पानी छोड़े जाने का कार्य केवल 3.5 घंटे के नोटिस पर किया गया, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई।
सीमाओं पर बैरिकेडिंग का निर्णय
बाढ़ की स्थिति को देखते हुए, ममता बनर्जी की सरकार ने बंगाल-झारखंड सीमा पर मालवाहक वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। हालांकि, 24 घंटों के भीतर ही अंतरराज्यीय व्यापार के लिए सीमा को फिर से खोल दिया गया।
केंद्र से तत्काल सहायता की मांग
ममता ने बाढ़ के कारण 50 लोगों के प्रभावित होने की जानकारी दी और केंद्रीय धनराशि की तुरंत मंजूरी की मांग की। इससे पहले भी, उन्होंने 20 सितंबर को पीएम मोदी को पत्र लिखकर बाढ़ की समस्या को उठाया था, जिसके जवाब में जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा था कि सभी निर्णय राज्य सरकार को सूचित करके ही लिए जाते हैं।
सरकारी प्रतिक्रिया
ममता बनर्जी ने कहा कि कभी-कभी राज्य सरकार को बिना बताए पानी छोड़ा जाता है, जिससे न केवल स्थानीय लोगों की सुरक्षा को खतरा होता है, बल्कि कृषि और अन्य संसाधनों पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है। इस बाढ़ ने राज्य में व्यापक तबाही मचाई है, और ममता बनर्जी ने केंद्र से अपील की है कि बाढ़ की समस्या के समाधान के लिए शीघ्र कार्रवाई की जाए।
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