KNEWS DESK – हाल के दिनों में, नौजवानों और बच्चों में अचानक हार्ट अटैक के मामलों की संख्या में चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के लखनऊ से एक ऐसा ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें कक्षा 3 की एक छात्रा खेलते समय हार्ट अटैक का शिकार हो गई। इस घटना ने बच्चों की स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं।
बच्चों में हार्ट अटैक के कारण
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों में हार्ट अटैक के कई संभावित कारण हो सकते हैं:
- मोटापा: शहरी जीवनशैली के कारण बच्चों की शारीरिक गतिविधियाँ कम हो गई हैं, जिससे मोटापा और बीपी की समस्याएं बढ़ रही हैं। मोटापा हार्ट अटैक का एक प्रमुख कारण बन सकता है।
- जन्मजात समस्याएं: कुछ बच्चों को जन्म से ही दिल की बीमारियाँ होती हैं, जैसे कंजेनाइटल हार्ट डिजीज, जो बाद में हार्ट अटैक का कारण बन सकती हैं। इन बीमारियों की पहचान में देरी से बच्चों की जान को खतरा हो सकता है।
- आनुवांशिक कारक: अगर परिवार में दिल की बीमारियों का इतिहास है, तो बच्चे भी इस खतरे से प्रभावित हो सकते हैं।
बच्चों में हार्ट अटैक के मामलों में वृद्धि
हालांकि हार्ट अटैक के मामलों का रुझान आमतौर पर युवाओं और बड़ों में देखा जाता था, लेकिन अब बच्चों में भी ऐसे मामलों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है। डॉक्टर्स का मानना है कि कुछ बच्चों को जन्म से ही दिल की बीमारियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कंजेनाइटल हार्ट डिजीज, जिससे दिल में छेद या अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। कई बार इन समस्याओं की जानकारी नहीं होने के कारण बच्चों की जान को खतरा बढ़ जाता है।
स्वास्थ्य रिपोर्ट और अध्ययन
2015 में अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंड डायग्नोस्टिक रिसर्च में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ था कि भारत में लगभग 6.5 करोड़ लोग दिल की बीमारियों से प्रभावित हैं, जिनमें 2.5 करोड़ लोग 40 साल की उम्र से कम हैं। WHO की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पिछले 10 वर्षों में दिल की बीमारियों से मरने वालों की संख्या में 75 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।
उपाय और सतर्कता
इन घटनाओं को देखते हुए, बच्चों के स्वास्थ्य और फिटनेस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। माता-पिता और स्कूलों को बच्चों की शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और उनके स्वास्थ्य की नियमित जांच सुनिश्चित करने के लिए सतर्क रहना चाहिए। इसके अलावा, बच्चों में किसी भी जन्मजात समस्या के लक्षणों को समय पर पहचानकर उचित चिकित्सा सलाह लेना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।