KNEWS DESK – कैंसर एक ऐसी गंभीर बीमारी है जिसकी पहचान अक्सर काफी देर से होती है, जिससे इलाज और जीवन बचाने के अवसर कम हो जाते हैं। लेकिन हाल ही में, वैज्ञानिकों ने ब्रेन कैंसर के जल्द पहचान के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। अमेरिका के नोट्रे डेम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक नया ब्लड टेस्ट उपकरण विकसित किया है, जो ब्रेन कैंसर का पता केवल एक घंटे में लगा सकता है। यह तकनीक खासतौर पर ब्रेन कैंसर के खतरनाक प्रकार ग्लियोब्लास्टोमा की पहचान में मददगार साबित हो सकती है।
ब्रेन कैंसर के लिए नया ब्लड टेस्ट कैसे करेगा काम
यह नया ब्लड टेस्ट एक छोटी सी बायोचिप का उपयोग करता है जो इलेक्ट्रो काइनेटिक सेंसर से लैस होती है। इस सेंसर की मदद से ब्लड सैंपल में कैंसर से संबंधित बायोमार्कर की पहचान की जाती है। ये बायोमार्कर, जिन्हें एपिडर्मल ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर्स (EGFRs) के नाम से जाना जाता है, ब्रेन कैंसर की उपस्थिति का संकेत देते हैं। इस तकनीक की मदद से, एक घंटे के भीतर यह पता लगाया जा सकता है कि किसी व्यक्ति को ब्रेन कैंसर है या नहीं।
ग्लियोब्लास्टोमा एक खतरनाक ब्रेन कैंसर
ग्लियोब्लास्टोमा को ब्रेन कैंसर के सबसे खतरनाक प्रकारों में से एक माना जाता है। इस कैंसर के मरीजों की औसत जीवनकाल 12-18 महीने के आसपास होती है, जो इसके तेजी से फैलने और इलाज में कठिनाइयों के कारण है। वर्तमान में, ग्लियोब्लास्टोमा की पहचान के लिए बायोप्सी की जाती है, जिसमें ट्यूमर से टिश्यू का नमूना लेकर जांच की जाती है। नया ब्लड टेस्ट इस प्रक्रिया को सरल और जल्दी बना सकता है, जिससे इलाज की शुरुआत जल्दी की जा सकेगी।
सुरक्षा और प्रभावशीलता
इस ब्लड टेस्ट के उपकरण की एक्यूरेसी को काफी ज्यादा बताया जा रहा है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इस तकनीक से ब्रेन कैंसर का समय पर पता लगाने में बड़ी मदद मिलेगी, जिससे मरीज की जान बचाना पहले से कहीं आसान हो सकता है। इसके अलावा, इस उपकरण का उपयोग अन्य प्रकार के कैंसर, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज, डिमेंशिया और एपिलेप्सी के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान के लिए भी किया जा सकता है।
भविष्य की संभावनाएँ
इस नए ब्लड टेस्ट की सफलता के बाद, उम्मीद है कि आने वाले समय में यह तकनीक और भी अधिक बीमारियों की पहचान में उपयोगी साबित होगी। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तकनीक का व्यापक उपयोग न केवल ब्रेन कैंसर की पहचान में, बल्कि अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के प्रारंभिक निदान में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
इस नई तकनीक के आने से, कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों की प्रारंभिक पहचान और इलाज में एक नई उम्मीद जगी है। इससे मरीजों को न केवल समय पर उपचार मिलेगा बल्कि उनकी जीवन प्रत्याशा भी बढ़ सकती है।