KNEWS DESK – केरल पुलिस ने मशहूर मलयालम फिल्म अभिनेता जयसूर्या के खिलाफ 48 घंटे के भीतर दूसरा यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया है। यह नया मामला एक महिला अभिनेत्री द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया है, जिसमें जयसूर्या पर यौन दुराचार का आरोप लगाया गया है। इससे पहले, 28 अगस्त को जयसूर्या के खिलाफ एक अन्य यौन उत्पीड़न का मामला भी दर्ज किया गया था।
नए मामले में दर्ज एफआईआर
पुलिस ने बताया कि जयसूर्या के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। यह नई एफआईआर 29 अगस्त को करमना पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई, जो जयसूर्या के खिलाफ लगातार दूसरा मामला है।
इसके अलावा, अभिनेत्री की शिकायत के आधार पर जयसूर्या के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 सी भी लगाई गई है। इस धारा के तहत किसी महिला की सहमति के बिना उसकी निजता का उल्लंघन करने पर कार्रवाई की जाती है।
हेमा कमेटी रिपोर्ट और बढ़ती चिंताएँ
यह घटनाएँ उस समय हो रही हैं जब हेमा कमेटी की रिपोर्ट के प्रकाश में मलयाली फिल्म इंडस्ट्री में यौन उत्पीड़न के आरोपों की संख्या बढ़ती जा रही है। हेमा कमेटी की रिपोर्ट के बाद से अब तक मलयाली अभिनेताओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न की कुल दस एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं, जो इंडस्ट्री में गहराते संकट का संकेत है।
फेफका यूनियन में इस्तीफे की लहर
यौन उत्पीड़न के इन आरोपों के बाद, मलयाली फिल्म संगठन फेफका यूनियन के निर्देशक आशिक अबू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। यह इस्तीफा इंडस्ट्री में यौन उत्पीड़न के मामलों को लेकर बढ़ते विवाद के बीच आया है।
राष्ट्रीय महिला आयोग की मांग
इस बीच, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने केरल के मुख्य सचिव से हेमा कमेटी की असंपादित रिपोर्ट एक हफ्ते के भीतर तलब की है। यह कदम भाजपा नेता संदीप वाचस्पति की शिकायत के बाद उठाया गया है। एनसीडब्ल्यू ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि हेमा कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर उचित कार्रवाई की जा सके।
अंततः, केरल फिल्म इंडस्ट्री पर बढ़ता दबाव
इन घटनाओं ने केरल फिल्म इंडस्ट्री में यौन उत्पीड़न के मामलों को लेकर एक गंभीर बहस को जन्म दिया है। जयसूर्या के खिलाफ दर्ज मामलों ने इंडस्ट्री के भीतर की समस्याओं को उजागर किया है, जहां महिलाओं की सुरक्षा और गरिमा के सवाल उठ रहे हैं। हेमा कमेटी की रिपोर्ट और उसके परिणामस्वरूप बढ़ती एफआईआर की संख्या ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाने की जरूरत है।