Knews Desk, उत्तराखंड में नगर निकाय के चुनाव कब होंगे इस पर सस्पेंस बरकरार है। इस बीच उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव लटकने की फिर संभावना बनती हुई नजर आ रही है। दअरसल विधानसभा में नगर निगम संशोधन विधेयक प्रवर समिति को भेजने के फैसले से जल्द चुनाव की संभावनाएं कमजोर पड़ती दिख रही हैं। प्रवर समिति की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखने और विधेयक के मंजूर होने के बाद ही चुनाव का रास्ता खुलेगा। बता दें कि उत्तराखंड में नगर निकायों का कार्यकाल दिसंबर 2023 में खत्म हो चुका है, तब से निकायों में प्रशासक तैनात हैं। जून में प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाया जा चुका है। दूसरी ओर हाईकोर्ट का सरकार पर जल्द से जल्द चुनाव कराने का दबाव है। कुछ दिन पहले ही हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में शहरी विकास विभाग की ओर से 25 अक्तूबर तक हर हाल में चुनाव प्रक्रिया पूरी कराने का दावा किया गया था। लेकिन मौजूदा परिस्थिति में ऐसा होता नहीं दिख रहा है। वहीं तमाम नेताओं और राजनीतिक दलों की चिंता एक बार फिर बढ़ गई है। हांलाकि तमाम राजनीतिक दल पूरी तैयारी का दावा जरूर कर रहे हैं। कांग्रेस ने प्रदेश कांग्रेस समन्वय समिति भी गठित की है। जो पार्टी नेतृत्व को सुझाव देगी जबकि भाजपा-कांग्रेस समेत तमाम दल नए सदस्यों को जोडने के लिए सदस्यता अभियान संचालित कर रहे हैं…सवाल ये है कि आखिर कब उत्तराखंड में निकाय चुनाव होंगे
देवभूमि उत्तराखंड में निकाय चुनाव पर संशय के बादल छटने का नाम नहीं ले रहे हैं। दिन प्रतिदिन ये बादल और घने हो रहे हैं। ऐसा ही कुछ मौजूदा परिस्थिति में भी देखने को मिल रहा है। दअरसल विधानसभा में नगर निगम संशोधन विधेयक प्रवर समिति को भेजने के फैसले से जल्द चुनाव की संभावनाएं कम है। प्रवर समिति की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखने और विधेयक के मंजूर होने के बाद ही निकाय चुनाव का रास्ता खुलेगा। वहीं प्रवर समिति को अपनी रिपोर्ट एक महीने में देनी है। इस रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखने और विधानसभा से विधेयक पारित कराने को विशेष सत्र बुलाना होगा। हांलाकि सरकार का दावा है कि वह निकाय चुनाव के लिए तैयार है…जबकि विपक्ष सत्तापक्ष पर निकाय चुनाव से बचने का आरोप लगा रहा है
आपको बता दें कि प्रदेश के सौ नगर निकायों का पांच वर्ष का कार्यकाल पिछले साल दो दिसंबर 2023 को खत्म होने के बाद इन्हें प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था। इसके बाद भी धामी सरकार ने जून 2024 में तीन माह के लिए प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ा दिया था। वहीं अब एक बार फिर प्रशासकों का कार्यकाल सितंबर माह में पूरा हो रहा है लेकिन निकाय चुनाव को लेकर असमंजस अभी भी बरकरार है। हांलाकि तमाम राजनीतिक दल निकाय चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयारी का दावा कर रहे हैं।
कुल मिलाकर मौजूदा परिस्थिति में एक बार फिर नगर निकाय चुनाव लटकने पूरी पूरी संभावना है. विधेयक प्रवर समिति को भेजने के बाद अब स्थिति पूरी तरह बदल गई है। ऐसे में पांच सितंबर को हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई बेहद अहम हो गई है। इसमें हाईकोर्ट की ओर से क्या रुख अख्तियार किया जाता है, इस पर सभी की नजर है। इसके अलावा भी देखना होगा क्या धामी सरकार विशेष सत्र बुलाती है। आखिर सरकार कोर्ट में अपना क्या पक्ष रखेगी, आखिर क्यों सरकार ने समय रहते निकाय चुनाव नहीं कराए..
उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट