KNEWS DESK- जब आप बाजार से नामी कंपनी का आयोडीन युक्त नमक या ब्रांडेड चीनी खरीदते हैं, तो आपको लगता है कि आप एक सुरक्षित और उच्च गुणवत्ता वाला उत्पाद ले रहे हैं। लेकिन एक नई स्टडी रिपोर्ट ने यह दिखाया है कि इन उत्पादों में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि हम रोजाना थोड़ा-थोड़ा प्लास्टिक खा रहे हैं।
माइक्रोप्लास्टिक का खुलासा
थिंक टैंक टॉक्सिक्स लिंक (Toxics Link) ने मंगलवार को एक स्टडी रिपोर्ट जारी की है, जिसमें पता चला है कि बाजार में बिक रहे लगभग सभी ब्रांड के नमक और चीनी में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी है। रिपोर्ट में यह चिंता जताई गई है कि आयोडाइज्ड नमक में माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा सबसे अधिक है। ये माइक्रोप्लास्टिक बहुरंगी पतले रेशों और झिल्ली के रूप में मौजूद हैं।
स्टडी में शामिल सैंपल
टॉक्सिक्स लिंक ने इस स्टडी के लिए विभिन्न प्रकार के नमक, जैसे कि टेबल नमक, सेंधा नमक, समुद्री नमक और कच्चा नमक, और चीनी के विभिन्न नमूने ऑनलाइन और स्थानीय बाजारों से खरीदे। इन नमूनों में से अधिकांश ब्रांडेड थे। नमक और चीनी के सैंपल में 0.1 एमएम से लेकर 5 एमएम साइज तक के माइक्रोप्लास्टिक कण मिले।
माइक्रोप्लास्टिक का प्रकार और रंग
रवि अग्रवाल और सतीश सिन्हा, टॉक्सिक्स लिंक के फाउंडर डायरेक्टर और असोसिएट डायरेक्टर, ने बताया कि नमक और चीनी में माइक्रोप्लास्टिक की उपस्थिति रेशों, छर्रों, पतली झिल्ली और टुकड़ों के रूप में मिली। ये प्लास्टिक कण आठ रंगों में थे—ट्रांसपेरेंट, सफेद, नीला, लाल, काला, बैंगनी, हरा और पीला। आर्गेनिक चीनी के सैंपल में माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा न्यूनतम पाई गई।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
माइक्रोप्लास्टिक का स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों पर गंभीर असर हो सकता है। ये प्लास्टिक के कण हानिकारक केमिकल छोड़ते हैं, जो इंसानों में प्रजनन संबंधी विकार, कैंसर, फेफड़ों में सूजन, हार्ट अटैक, मोटापा, इंसुलिन प्रतिरोध और बांझपन का कारण बन सकते हैं। माइक्रोप्लास्टिक पानी, हवा और खाद्य पदार्थों के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।
भारत में नमक और चीनी का अधिक सेवन
कई स्टडी रिपोर्ट्स बताती हैं कि औसत भारतीय तय मानक से काफी अधिक नमक और चीनी का सेवन करता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय एक दिन में 10.98 ग्राम नमक और लगभग 10 चम्मच चीनी का सेवन कर लेते हैं। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों से कहीं अधिक है, और इससे भारतीयों को विभिन्न बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे कि डायबिटीज। इस रिपोर्ट के खुलासे के बाद, उपभोक्ताओं को अपने खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता पर ध्यान देना आवश्यक हो गया है। स्वच्छता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए खाद्य पदार्थों की नियमित जांच और प्रमाणन की आवश्यकता है। साथ ही, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और सही खानपान के नियमों का पालन कर के हम अपने जीवन को सुरक्षित और स्वस्थ बना सकते हैं।
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