प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से किया समान नागरिक संहिता का प्रस्ताव, विपक्ष ने किया विरोध

KNEWS DESK- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिल्ली के लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया और देश को संबोधित किया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने समान नागरिक संहिता के समर्थन में अपने विचार रखे, जिसे लेकर राजनीति में हलचल मच गई है। विपक्ष ने प्रधानमंत्री के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

प्रधानमंत्री मोदी का बयान

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में समान नागरिक संहिता पर जोर देते हुए कहा कि हमारे देश के सर्वोच्च न्यायालय ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर लगातार विचार-विमर्श किया है और निर्देश जारी किए हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारी आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानता है कि हमारा वर्तमान नागरिक संहिता स्वाभाविक रूप से सांप्रदायिक और भेदभावपूर्ण है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि इस मामले पर एक व्यापक चर्चा आवश्यक है, जहां विविध दृष्टिकोण साझा किए जा सकें। धार्मिक विभाजन को कायम रखने वाले कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं है। प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर एक व्यापक चर्चा की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि धार्मिक विभाजन को कायम रखने वाले कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं होना चाहिए।

विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री मोदी के बयान के बाद विपक्ष ने उन्हें विभाजनकारी करार दिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विवेक तन्खा ने कहा, “यह भाषण विभाजनकारी है।” सलमान खुर्शीद ने भी प्रधानमंत्री के बयान पर आलोचना की, उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर कार्रवाई की बात की है, लेकिन अपनी पार्टी के नेताओं पर कब कार्रवाई करेंगे? संविधान सर्वोच्च है और जो संविधान इजाजत देगा वही होगा। कांग्रेस की सुप्रिया सुले ने भी टिप्पणी की कि यह बीजेपी की सरकार नहीं बल्कि NDA की सरकार है, इसलिए प्रधानमंत्री मोदी इस तरह की बातें कर रहे हैं।

समान नागरिक संहिता पर विपक्ष का रुख

विपक्ष ने समान नागरिक संहिता को लेकर चिंता जताई है कि यह धर्म और संस्कृति के नाम पर विभाजन पैदा कर सकता है। उनका कहना है कि संविधान की प्राथमिकता सर्वोच्च होनी चाहिए और किसी भी प्रकार की विभाजनकारी नीतियों से बचना चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी का बयान समान नागरिक संहिता पर एक बार फिर से बहस को हवा दे रहा है। यह मुद्दा न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। आने वाले दिनों में इस पर और भी चर्चा हो सकती है, जहां विभिन्न दृष्टिकोणों को सामने लाया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी की इस पहल को लेकर देशभर में विभिन्न प्रतिक्रियाएं आ रही हैं और इस मुद्दे पर भविष्य में होने वाली चर्चाओं से यह स्पष्ट होगा कि समान नागरिक संहिता को लेकर कितनी व्यापक सहमति बनती है।

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