KNEWS DESK- इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक अजीबो-गरीब मामला प्रकाश में आया है, जिसमें व्यक्ति की मौत के तीन साल बाद शब्द प्रकाश के ‘भूत’ ने याची के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई| इसके बाद पुलिस विवेचना अधिकारी ने उस ‘भूत’ का बयान भी दर्ज किया और चार्जशीट भी अदालत में दाखिल कर दी| हैरानी तो इस बात की है कि भूत ने हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में 19 दिसंबर 23 को वकालतनामा पर हस्ताक्षर भी कर दिया|
यहां मृतक व्यक्ति के नाम से साल 2014 में एक जमीन के विवाद में एक ही परिवार के पांच लोगों पर मुकदमा दर्ज कराया. वहीं, जांच अधिकारी ने भी बयान दर्ज कर लिया और चार्जशीट भी लगा दी| फिर चलता रहा केस| ये मामला जब हाईकोर्ट आया तो कोर्ट से सभी पहलू की जांच कर कुशीनगर एसपी से पूछा- कोई मरा हुआ व्यक्ति या कोई भूत भी FIR करा कर निर्दोषों को फंसा सकता है?
दरअसल, मामला कुशीनगर का है| यहां साल 2014 में एक जमीन के मामले में मृत व्यक्ति ने एक परिवार के पांच लोगों पर एफआईआर कराई और इस मामले में विवेचना कर रहे विवेचक ने बयान भी दर्ज कर लिया और इसकी चार्जशीट भी दाखिल कर दी| जब ममाला ट्रायल कोर्ट में आया तो कोर्ट ने इसका संज्ञान भी ले लिया| जब इसका मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट आया तो कोर्ट ने इस मामले को सुनकर रह कर दिया और एसपी को पता लगाने को कहा कि कोई भूत कैसे निर्दोषों को फंसा रहा है?
‘भूत’ ने किया केस
इस मामले में साल 2014 में एफआईआर हुई थी| पर एफआईआर कराने वाले शब्द प्रकाश 2011 में ही मर चुके हैं| इस केस के खिलाफ अपील करने वाले पुरुषोत्तम सिंह के वकील ने मृतक शब्द प्रकाश की पत्नी ममता द्वारा दिए गए मृत्यु प्रमाण पत्र को भी शामिल किया| मामले की सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने आरोपी पुरुषोत्तम सिंह और उसके परिजनों के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र को रद्द कर दिया है| कोर्ट ने इस मामले में कुशीनगर के एसपी को मामले की जांच के आदेश दिए हैं| कोर्ट ने कहा कि पुलिस अधीक्षक जांच कर पता लगाएं कि जांच अधिकारी ने किसी ‘भूत’ का बयान कैसे दर्ज कर लिया|
मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी ने कड़ी नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को भी इस आदेश की प्रति भेजी है| आदेश की प्रति भेजते हुए जज ने मृतक वादी शब्द प्रकाश के नाम से वकालतनामा दाखिल करने वाले वकील विमल पांडे को भी भविष्य में सतर्क रहने की सलाह देने को कहा है|