निकाय चुनाव भारी, सस्पेंस जारी ! 

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड में निकाय चुनाव के मुद्दे पर सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है। दअरसल कोर्ट में छह माह के भीतर निकाय चुनाव कराने की बात कहने के बावजूद राज्य सरकार अबतक निकाय चुनाव नहीं करा पाई है। जिसके बाद एक बाऱ फिर ये मामला कोर्ट में चला गया है। नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य में समय पर निकाय चुनाव न कराए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। जनहित याचिका में कहा गया है कि पूर्व हुई सुनवाई के दौरान सचिव शहरी विकास ने कोर्ट में पेश होकर कहा था कि 6 महीने के भीतर राज्य में नगर निकायों का चुनाव करा लिया जाएगा। लेकिन अभी तक सरकार ने चुनाव नही कराए है और प्रशासकों का कार्यकाल और बढ़ा दिया है। वहीं अब इस पूरे मामले में अगली सुनवाई 13 अगस्त को नैनीताल हाईकोर्ट ने निर्धारित की है। आपको बता दें कि प्रदेश के सौ नगर निकायों का पांच वर्ष का कार्यकाल पिछले साल दो दिसंबर 2023 को खत्म होने के बाद इन्हें प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था। इसके बाद भी धामी सरकार ने जून 2024 में तीन माह के लिए प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ा दिया था। वहीं अब एक बार फिर प्रशासकों का कार्यकाल सितंबर माह में पूरा हो रहा है लेकिन निकाय चुनाव को लेकर असमंजस अभी बरकरार है। इस बीच खबर आ रही है कि निकाय चुनाव से ठीक पहले नगर निगम देहरादून के 54 वार्डों के परिसीमन में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। निगम के अधिकारियों ने किसी वार्ड में छह हजार तो किसी में 11 हजार से ज्यादा वोटर शामिल कर दिए। जबकि, मानक आठ हजार 40 वोटरों को शामिल करने की अधिकतम सीमा है। शासन ने निगम की परिसीमन रिपोर्ट लौटा दी है। मामले में डीएम ने दोबारा परिसीमन के आदेश दिए हैं। वहीं राज्य में अब इस मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। सवाल ये है कि आखिर क्यों धामी सरकार अबतक निकाय चुनाव नहीं करा पाई है।

 

उत्तराखंड में निकाय चुनाव पर सस्पेंस अबतक बरकार है। राज्य में निकाय चुनाव कब होंगे इसका ना तो सरकार को पता है और ना ही निर्वाचन आयोग को वहीं निकाय चुनाव में लगातार हो रही देरी का मुद्दा एक बार फिर हाईकोर्ट पहुंच गया है। नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य में समय पर निकाय चुनाव न कराए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। जनहित याचिका में कहा गया है कि पूर्व हुई सुनवाई के दौरान सचिव शहरी विकास ने कोर्ट में पेश होकर कहा था कि 6 महीने के भीतर राज्य में नगर निकायों का चुनाव करा लिया जाएगा। लेकिन अभी तक सरकार ने चुनाव नही कराए है और प्रशासकों का कार्यकाल और बढ़ा दिया है।

आपको बता दें कि प्रदेश के सौ नगर निकायों का पांच वर्ष का कार्यकाल पिछले साल दो दिसंबर 2023 को खत्म होने के बाद इन्हें प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था। इसके बाद भी धामी सरकार ने जून 2024 में तीन माह के लिए प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ा दिया था। वहीं अब एक बार फिर प्रशासकों का कार्यकाल सितंबर माह में पूरा हो रहा है लेकिन निकाय चुनाव को लेकर असमंजस अभी बरकरार है। वहीं राज्य निर्वाचन आयोग का कहना है कि वो निकाय चुनाव के लिए तैयार है। आयोग की ओर से संवेदनशील और अतिसंवेदनशील मतदेय स्थलों की चिन्हिकरण की कार्रवाई की जा रही है साथ ही शासन स्तर पर आरक्षण की प्रक्रिया गतिमान है। शासन से आरक्षण की स्थिति प्राप्त होते ही राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी की जाएगी

कुल मिलाकर राज्य में एक बार फिर निकाय चुनाव पर सिसायी वार पलटवार शुरू हो गया है। एक ओर जहां सरकार निकाय चुनाव के लिए पूरी तैयारी का दावा कर रही है तो वहीं दूसरी ओर निर्वाचन आयोग भी पूरी तैयारी की बात कह रहा है लेकिन बड़ा सवाल ये है कि यदि सब तैयार हैं तो फिर निकाय चुनाव राज्य में क्यों नहीं कराए जा रहे हैं।

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