भारत आने की शेख हसीना ने मांगी थी इजाजत, राज्यसभा में बोले विदेश मंत्री एस. जयशंकर

KNEWS DESK- बांग्लादेश में हिंसा का दौर अभी भी जारी है। शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश छोड़ने के बाद भी प्रदर्शनकारी सड़कों पर डटे हुए हैं। पड़ोसी देश में भड़की हिंसा को लेकर भारत लगातार चिंता जता रहा है। आज यानी 6 जुलाई को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राज्यसभा में बांग्लादेश हिंसा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि शेख हसीना ने भारत आने की इजाजत मांगी थीं।

विदेश मंत्री ने कहा कि बांग्लादेश में जुलाई से हिंसा जारी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी वहां हिंसा जारी है। भारत सरकार बांग्लादेश के अधिकारियों के संपर्क में हैं। वहां, पुलिस के ऊपर भी हमले किए जा रहे हैं। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि शेख हसीना ने भारत आने का अनुरोध किया था। जिसके बाद उनको भारत आने की अनुमति दी गई।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि बांग्लादेश हमारे बहुत करीब है। जनवरी से वहां टेंशन है। बांग्लादेश में हिंसा जून- जुलाई में शुरू हुई। हम वहां की राजनीतिक पार्टियों के संपर्क में थे। कोटा सिस्टम पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी हालात बिगड़े। सबसे ज्यादा वहां अल्पसंख्यकों पर हमले हुए हैं, जो चिंता का विषय है।

बांग्लादेश के हालात ऐसे क्यों? 

जानकारी के लिए आपको बता दें कि बांग्लादेश के हालात ठीक वैसे ही बनते जा रहे हैं, जैसे कुछ समय पहले पाकिस्तान के थे। पाकिस्तान की तरह ही अंदरूनी कलह से जूझ रहे बांग्लादेश में लॉन्ग मार्च का आह्वान किया। छात्र नेताओं ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर सविनय अवज्ञा आंदोलन की घोषणा की है। बांग्लादेश में छात्र प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग करते हुए देशव्यापी कर्फ्यू को धता बताते हुए राजधानी ढाका तक लॉन्ग मार्च के लिए जुटे हैं। एंटी डिस्क्रिमिनेशन स्टूडेंट मूवमेंट ने एक दिन के लॉन्ग मार्च का आह्वान किया था। इस लॉन्ग मार्च के मद्देनजर बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी और बख्तरबंद गाड़ियों को सड़कों पर गश्ती करते देखा जा सकता है। खबरों के मानें तो इस प्रोटेस्ट के समन्वयक आसिफ महमूद ने कहा कि इस सरकार ने कई छात्रों का कत्ल किया है। अब समय आ गया है कि सरकार को अपने कर्मों का हिसाब देना होगा। एक छात्र ने कहा कि हमें कोई भी मार्च करने से नहीं रोक सकता। अगर हमारा उनसे सामना होगा, तो बांग्लादेश को आजाद कराएंगे। मैं सेना के अपने भाइयों से कहना चाहता हूं कि तानाशाहों का साथ नहीं दें या तो आप लोगों का साथ दें या फिर निष्पक्ष रहें। इसके साथ ही सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम भी दिया गया है कि सरकार इस तय अवधि के भीतर बंद की गई सभी यूनिवर्सिटीज को दोबारा खोल दे।

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