12वीं की बुक से NCERT ने हटाया बाबरी मस्जिद का जिक्र, किए गए कई बदलाव

KNEWS DESK- NCERT की नई बुक में भगवान राम से लेकर श्री राम तक, बाबरी मस्जिद, रथयात्रा, कारसेवा और विध्वंस के बाद की हिंसा की जानकारी को हटा दिया गया है| पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस में कई बड़े बदलाव करते हुए बाबरी मस्जिद की जानकारी हटाने और अयोध्या विवाद को अयोध्या मुद्दा लिखने की बात सामने आई है| बाबरी मस्जिद नाम के बदले तीन गुबंद संरचना के रूप में पढ़ाया जाएगा| इसके अलावा अयोध्या पर अध्याय को चार पेजों की जगह 2 पेज का कर दिया गया है|

NCERT 12वीं पॉलिटिकल साइंस की बुक में भगवान राम का जन्म स्थान माना जाता है से सन्दर्भ बदलकर इसमें श्री राम के जन्मस्थान, सबसे पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक और इसके क़ानूनी स्वामित्व के बारे में विवाद शामिल थे कर दिया गया है| ऐसा पहली बार है जब अयोध्या राम जन्मभूमि का सन्दर्भ लाया गया है क्योंकि भगवान राम को बदलकर श्री राम कर दिया गया है| यह 2014 के बाद से NCERT बुक का चौथा संशोधन है, जो नए राजनीतिक विकास के आधार पर अपडेट को दिखाता है| न्यू बुक 2024 से 2025 शैक्षणिक सत्र के लिए लागू की जायेगी, जिसका उद्देश्य शैक्षिक सामग्री को समकालीन राजनीतिक घटनाओं के साथ जोड़ना है|

लगभग 2 पेज कम करने के बाद नई बुक कुछ इस तरह से शुरू होती है- अयोध्या मुद्दा दूसरे महत्वपूर्ण विकास के रूप में विभिन्न हितधारकों के विभिन्न दृष्टिकोणों से सम्बंधित देश के सामाजिक- सांस्कृतिक और राजनीतिक इतिहास में गहराई से निहित था| इसमें श्री राम के जन्म स्थान, सबसे पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक और इसके क़ानूनी स्वामित्व के बारे में विवाद शामिल थे| अयोध्या राम जन्मभूमि स्थल के महत्त्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1528 से शुरू होने वाला 500 साल लंबा इतिहास कई संघर्षों से चिन्हित है, जिसका विवरण लखनऊ,बाराबंकी और फैजाबाद जिला गजेटियर में भी दर्ज है| श्री राम के जन्मस्थान पर 1528 में तीन गुबंद वाली संरचना का निर्माण किया गया था लेकिन संरचना के आंतरिक और बाहरी हिस्सों में हिन्दू प्रतीकों और अवशेषों का स्पष्ट प्रदर्शन था| इसलिए अयोध्या राम जन्मभूमि मुद्दा अपनी प्राचीन सभ्यता में राष्ट्रीय गौरव से जुड़ गया| वर्षों से यह मुद्दा एक लंबी क़ानूनी लड़ाई में बदल गया, जिसकी वजह से अदालती कार्रवाई शुरू होने के कारण 1949 में ढांचे को सील कर दिया गया|

बुक में आगे लिखा है कि 1986 में तीन गुबंद वाले ढांचे को लेकर स्थिति ने एक महत्वपूर्ण मोड़ ले लिया, जब फ़ैजाबाद जिलाकोर्ट ने ढांचे को खोलने का फैसला सुनाया, जिससे लोगों को वहां पूजा करने की अनुमति मिल सके| यह विवाद कई दशकों से चल रहा था क्योंकि ऐसा माना जाता था कि तीन गुबंद वाला ढांचा श्री राम के जन्मस्थान पर एक मंदिर को गिराकर बनाया गया था| हालांकि मंदिर के लिए शिलान्यास किया गया था लेकिन आगे निर्माण पर रोक लगी रही| हिन्दू समुदाय को लगा कि श्री राम के जन्म स्थान से सम्बंधित उनकी चिंताओं को नजरअंदाज कर दिया गया| 1992 में ढाँचे के विध्वंस के बाद कुछ आलोचकों ने तर्क दिया कि इसने भारतीयों लोकतंत्र के सिद्धांतों के लिए एक बड़ी चुनौती पेश की| ये भी बता दें कि नई पाठ्यपुस्तक से बीजेपी की रथ यात्रा का जिक्र हटा दिया गया है| इसके अलावा भी नई किताब में कई बदलाव हुए हैं|

NCERT के निदेशक दिनेश सकलानी ने बुक पर हुए बदलावों पर कहा कि बुक्स का भगवाकरण करने का कोई प्रयास नहीं है, ये क्या है और इसका मतलब क्या है| जब हम किताबें पब्लिश करते हैं तो हम किसी विचारधारा का पालन नहीं करते हैं| एक्सपर्ट्स ने वही किया, जो उन्हें सिलेबस के लिए सही लगा और बाबरी मस्जिद का सन्दर्भ इसलिए हटाया गया क्योंकि जो ताजा अपडेट्स हैं हमने उसके अनुसार काम किया है|

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