नई दिल्ली, पूर्वांचल के लोकसभा रण में भाजपा के गण में सेंध लग गई। अपना दल नेता, मिर्जापुर सांसद अनुप्रिया पटेल व कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर द्वारा अगड़े समाज खासकर राजाओं क्षत्रपों पर टिप्पणी से नाराजगी बढ़ी। जहाँ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जीत का आंकड़ा गिरा वह राहुल गांधी अखिलेश यादव से भी कम मतों से जीते वहीं वाराणसी से लगी चंदौली से कैबिनेट मंत्री डा महेन्द्र नाथ पांडेय हार गए। स्वयं अपना दल नेता प्रत्याशी रार्बसगंज सीट से रिंकी कौल की लाखों मत से हार ने चौंका दिया। चर्चा तो यह है कि भदोही सांसद डॉ विनोद कुमार बिंद, अनुप्रिया पटेल से ज्यादा मतों से जीते किंतु उनके समर्थक मानते हैं कि अनुप्रिया के गलत भाषणों एवं अहंकार से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा.
2019 में भाजपा ने लोकसभा में हारी 16 सीटों पर हार को लेकर राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल को ही खासकर जिम्मेदारी दी थी। उसमें 1 अमरोहा व दूसरी जयंत चौधरी गठबंधन प्रत्याशी ने बिजनौर रणनीति से भले जीत लिया हो पर 14 सीटों पर करारी शिकस्त मिली। फिलहाल भाजपा के प्रयास को झटका लगा .
बाहुबली धनंजय सिंह को लेकर भाजपा घिरती नजर आई
जौनपुर में भाजपा ने महाराष्ट्र के पूर्व गृहराज्य मंत्री कृपा शंकर सिंह को मैदान में उतारा। धनंजय सिंह को जेल हुई फिर जमानत मिली। फिर बसपा से उनकी पत्नी श्रीकला रेड्डी लोकसभा में नामांकन किया, फिर बसपा से टिकट वापसी कराया गया लेकिन दबाब के धनंजय सिंह की कूटनीति धनंजय फैक्टर की कृपा पर कृपा नहीं हुई। चर्चा यह भी कि जब जिला पंचायत अध्यक्ष पद हेतु भाजपा ने नीलम रमेश सिंह को उतारा था लेकिन अनुप्रिया आशीष पटेल ने ऐन वक्त पर सीट अपना दल एस के गठबंधन में लेकर चक्रव्यूह में पूर्व सांसद कुंवर हरिवंश की बहू को फंसा दिया। फिर अपना दल एस प्रत्याशी सहित भाजपा संगठन ने नीलम को हरवाया। यह प्रदेश भर में चर्चा रही कि अपना दल माफियाओं की पोषक रही है।
ओम प्रकाश राजभर को लेना भाजपा की बड़ी भूल
ओम प्रकाश राजभर को लेना भाजपा की बड़ी भूल माना जा रहा है। जिस सीट घोसी से कैबिनेट मंत्री दारा सिंह बुरी तरह हारे थे वहीं सीट पर ओम प्रकाश राजभर का बेटा अरबिन्द राजभर 1 लाख 63 हजार मतों से बुरी तरह हारा। सुहेलदेव को लेकर भी पूर्वांचल में विवाद है। वैस क्षत्रिय उनको अपना मानते तो राजभर उनको भर समाज का मानते यह विवादास्पद मामला सुर्खियों में रहा.
डॉ संजय निषाद के विवादित बयान से राम भक्त नाराज थे
कैबिनेट मंत्री डॉ संजय निषाद से क्षत्रियों में नाराजगी की खास वजह उनका विवादित बयान कि प्रभु श्री राम खीर खाकर पैदा हुए.., रहा। लगभग 1 लाख मतों से उनके पुत्र सांसद प्रवीण निषाद को हार का सामना करना पड़ा.
क्यों खिसका अनुप्रिया पटेल-ओम प्रकाश राजभर व डॉ संजय निषाद से उनका मतदाता
अपना दल नेता मान सिंह पटेल मानते हैं कि अनुप्रिया पिता संस्थापक स्व सोनेलाल पटेल हत्याकांड की सीबीआई जांच क्यों नहीं करातीं। उनकी बहन पल्लवी पटेल भी मांग उठा चुकी हैं. वहीं कार्यकर्ताओं में निराशा है कि पति-पत्नी मंत्री बन जाते लेकिन संगठन पदाधिकारियों को क्या मिला? यही वजह है कि अब उनका जनाधार दिखाई नहीं पड़ा. प्रकाश राजभर भी समाज को सम्मान न देकर परिवाद में घिरे हैं. मुख्यमंत्री से उनका छत्तीस का आंकड़ा है इसलिए संगठन कमजोर हो गया। निषाद पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष पर भी परिवार वाद की पार्टी का आरोप कई बार लगा। फिलहाल छोटे-छोटे दलों का खेल सपा कांग्रेस गठबंधन ने धाराशाही कर दिया .
अब बाहुबली का असर नहीं
पूर्वांचल में बाहुबली का एक लम्बे समय तक असर था लेकिन मौजूदा 2024 में धनंजय सिंह, ठाकुर अभय सिंह, बृजेश सिंह, विनीत सिंह का भी कितना असर प्रधानमंत्री की कम मतों की जीत से सच सामने आ गया। वहीं डॉ महेन्द्र नाथ पांडेय की हार से साफ हो गया कि अब इनका असर बेअसर हो गया है, सिर्फ सत्ता संरक्षण में फल-फूल रहे हैं।
जयंत चौधरी को मंच पर स्थान न देने से जाट लैंड कहीं नाराज
एनडीए गठबंधन में अपनी पार्टी विचारधाराओं से हटकर समझौता किया लेकिन कल जो घटनाक्रम हुआ अलग-अलग चर्चाएं हैं कि मंच पर दो सीट जीतने वाले घटक दल को मंच पर सम्मान नहीं मिला.
भारतीय किसान यूनियन भानु व अन्य संगठनों ने सपा-कांग्रेस की राह आसान बनाई
फिलहाल तो संगठन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण एवं सरकार गठन के बाद लोकसभा नतीजों की समीक्षा करेगा लेकिन भाजपा का सबसे भरोसेमंद साथी ठाकुर भानु प्रताप सिंह का विरोध उनके सहयोगी संगठन पूरन सिंह सहित खासकर अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा करणी सेना सहित क्षत्रियों की नाराजगी का असर उत्तर भारत से लेकर मुम्बई-महाराष्ट्र तक रहा। राष्ट्रीय संगठन मंत्री इंजीनियर भुवनेश्वर सिंह ने कहा कि 21 छोटे छोटे दलों को हमने संरक्षण दिया मतलब निकल गया तो पहचानते नहीं। हमको जातिवादी कहा जाता है। यह सब अवसरवादी खतरनाक हैं। दल बदल कानून कमजोरियों का भी जिक्र किया वहीं मिशन 2027 को लेकर जल्द बैठक लखनऊ में होगी। भुवनेश्वर सिंह ने कहा कि उनका संकल्प हम सितंबर में हरिवंश सिंह, राघवेन्द्र सिंह राजू एवं क्षत्रिय सहयोगी संगठनों संग उत्तर प्रदेश में क्षत्रिय जोड़ो यात्रा निकालने की तैयारी में हैं ।