उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखँड में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। उत्तराखंड में भाजपा ने लगातार तीसरी बार क्लीन स्वीप कर सभी को चौंका दिया है। प्रदेश की पांचों लोकसभा सीटों में लगातार तीसरी बार जीत रहे भाजपा प्रत्याशियों से माना जा रहा है कि देश में मोदी मैजिक तो वहीं राज्य में धामी मैजिक चल रहा है। हांलाकि इस लोकसभा चुनाव में जीत के बाद भी भाजपा की पहले जैसी चमक देखने को नहीं मिली है। मत प्रतिशत के मामले में पार्टी इस बार 2019 जैसा जोरदार प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इस बार उत्तराखंड में कुल 56.79 प्रतिशत मत हासिल किए। जबकि, 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को राज्य में 61.66 प्रतिशत वोट पड़े थे। ऐसे में पार्टी के मत प्रतिशत में करीब 5 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसके साथ ही भाजपा का राज्य की पांचों लोकसभा सीटों को इस बार पांच लाख से अधिक मतों के अंतर से जीतने का लक्ष्य रखा था। लेकिन पार्टी इस लक्ष्य को किसी भी सीट पर हासिल नहीं कर पाई है। वहीं मुख्य विपक्षी दल यानि की कांग्रेस प्रदेश की पांचों सीटों में तीसरी बार मिली हार के बाद अब समीक्षा में जुट गई है। इसके साथ ही कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का कहना है कि यदि पार्टी के वरिष्ठ नेता चुनाव लड़ते तो शायद परिणाम अलग होते..वहीं उन्होने बताया कि प्रदेश संगठन एक रिपोर्ट तैयार कर जल्द हाईकमान को भेजेगा.. सवाल ये है कि आखिर क्यों उत्तराखंड में कांग्रेस का ग्राफ लगातार गिर रहा है। आखिर क्यों प्रदेश में कांग्रेस खाता तक नहीं खोल पा रही है।
2024 के लोकसभा चुनाव के परिणाम ने सभी को चौंका दिया है। विपक्षी इंडिया गठबंधन जहां देशभर में मजबूत हुआ है तो वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड में विपक्षी एकता पूरी तरह से फ्लोप साबित हुई है। राज्य की पांचों लोकसभा सीटों में भाजपा ने लगातार तीसरी बार क्लीन स्वीप कर सभी को चौंका दिया है। जबकि कांग्रेस प्रदेश की पांचों सीटों में लगातार तीसरी बार हार से सामना कर रही है। वहीं चुनाव में मिली हार के बाद अब कांग्रेस समीक्षा में जुट गई है। इसके साथ ही कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का कहना है कि यदि पार्टी के वरिष्ठ नेता चुनाव लड़ते तो शायद परिणाम अलग होते..वहीं उन्होने बताया कि प्रदेश संगठन एक रिपोर्ट तैयार कर जल्द हाईकमान को भेजी जाएगी।
आपको बता दें कि उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रीतम सिंह, हरीश रावत और यशपाल आर्य ने चुनाव लड़ने से साफ इंकार कर दिया। जिससे पार्टी को अन्य विकल्प चुनावी मैदान में उतारने पड़े। इसका नतीजा ये हुआ कि एक बार फिर कांग्रेस को प्रदेश की सभी पांचों सीटों में हार का सामना करना पड़ा। वहीं भाजपा लगातार तीसरी बार क्लीन स्वीप से काफी उत्साहित है, हांलाकि 2024 के लोकसभा चुनाव में 2019 जैसी चमक देखने को नहीं मिली है। मत प्रतिशत के मामले में पार्टी इस बार 2019 जैसा जोरदार प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इस बार उत्तराखंड में कुल 56.79 प्रतिशत मत हासिल किए। जबकि, 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को राज्य में 61.66 प्रतिशत वोट पड़े थे। ऐसे में पार्टी के मत प्रतिशत में करीब 5 प्रतिशत की गिरावट आई है।
कुल मिलाकर 2024 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा ने उत्तराखंड में ऐतिहासिक जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया है। चुनावी नतीजे सामने आने के बाद से भाजपा में काफी खुशी की लहर देखने को मिल रही है. वहीं कांग्रेस अब हार की समीक्षा के साथ ही वरिष्ठ नेताओं के चुनाव ना लड़ने को हार की बड़ी वजह बता रही है। सवाल ये है कि आखिर क्यों प्रदेश में लगातार कांग्रेस का ग्राफ गिर रहा है। आखिर क्या वजह है कि भाजपा प्रदेश में लगातार तीसरी बार क्लीन स्वीप करने में कामयाब हुई है।