उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड के जंगलों में धधकती आग के बीच राज्य की प्रसिद्ध चारधाम यात्रा का 10 मई से आगाज होने जा रहा है। जंगलों में लगी आग अब रिहायशी इलाकों तक पहुंच गई है। बढ़ती वनाग्नि की घटनाओं ने मुख्यमंत्री की चिंता बढ़ा दी है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री ने अपने तमाम राज्यों में होने वाले प्रचार प्रसार के कार्यक्रमों को स्थगित करते हुए उत्तराखंड वापस लौटने का फैसला लिया। मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड पहुंचते ही ताबड़तोड़ एक्शन भी शुरू कर दिया है। सीएम धामी ने सबसे पहले शासन के उच्चाधिकारियों की बैठक ली बैठक में मॉनसून, चारधाम यात्रा और वनाग्नि के मुद्दे पर चर्चा की। इस दौरान सीएम धामी ने वनाग्नि की घटना में लापरवाही बरतने वाले 17 अधिकारियों और कर्मचारियों के सस्पेंशन के भी आदेश दिए हैं…इस बीच मुख्यमंत्री ने रूद्रप्रयाग पहुंचकर अधिकारियों की चारधाम यात्रा के संबंध में बैठक ली। बैठक के बाद चारधाम यात्रा के लिए किए गये कार्यों का स्थलीय निरीक्षण किया। इतना ही मुख्यमंत्री ने वनाग्नि प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण भी किया है। वहीं मुख्यमंत्री धामी ने रुद्रप्रयाग पहुंचकर जंगल में बिखरी हुई पिरूल की पत्तियों को एकत्र करते हुए जन-जन को इसके साथ जुड़ने का संदेश दिया। इसके साथ ही वनाग्नि को रोकने के लिए सरकार ने अब ‘पिरूल लाओ-पैसे पाओ‘ मिशन पर भी कार्य शुरू कर दिया है। इस मिशन के तहत जंगल की आग को कम करने के उद्देश्य से पिरूल कलेक्शन सेंटर पर ₹50 रुपए प्रति किलो की दर से पिरूल खरीदे जाएंगे। वहीं कांग्रेस का कहना है कि विपक्ष के दबाव के बाद मुख्यमंत्री को अपने कार्यक्रम स्थगित कर फिल्ड में उतरना पड़ा…इसके साथ ही विपक्ष का तर्क है कि मुख्यमंत्री का ये एक्शन पहले दिखा होता तो शायद वनाग्नि इतना विकराल रूप ना लेती…इसलिए आज हम कह रहे है धामी का एक्शन, विपक्ष का रिएक्शन
उत्तराखंड के जंगलों की आग थमने का नाम नहीं ले रही है। आलम ये है कि अबतक 1316 हेक्टेयर से ज्यादा जंगल जलकर राख हो गये हैं। वनाग्नि की बढ़ती घटनाओँ ने सरकार की टेंशन बढ़ा दी है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री ने आनन-फानन में अपने तमाम कार्यक्रमों को स्थगित करते हुए ताबड़तोड़ एक्शन शुरू कर दिए है। सीएम धामी ने शासन के उच्चाधिकारियों की बैठक ली.. जिसमें मॉनसून, चारधाम यात्रा और वनाग्नि के मुद्दे पर चर्चा की। इस दौरान सीएम धामी ने वनाग्नि की घटना में लापरवाही बरतने वाले 17 अधिकारियों और कर्मचारियों के सस्पेंशन के भी आदेश दिए हैं…वहीं कांग्रेस का कहना है कि विपक्ष के दबाव से मुख्यमंत्री को वापस उत्तराखंड आना पड़ा..और फील्ड में उतरना पड़ा
आपको बता दें कि उत्तराखंड का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 53 हजार 483 किमी है, जिसमें से 86% पहाड़ी है और 65 से 70 प्रतिशत जंगल से ढका हुआ है…इसमें से करीब 1316 हेक्टेयर से ज्यादा जंगल आग की चपेट में आ गये हैं। वहीं ये आग लगातार बढ़ते हुए अब कई स्थानों पर रिहायशी इलाकों तक पहुंच गई है। वहीं वनाग्नि से राज्य के पर्यटन कारोबार पर भी बुरा असर पड़ रहा है। इस बीच चारधाम यात्रा शुरू होने जा रही है….यात्रा का सकुशल संचालन सरकार के लिए बड़ी चुनौती है इसको देखते हुए मुख्यमंत्री खुद रुद्रप्रयाग पहुंचे जहां उन्होने चारधाम यात्रा की तैयारियों का जायजा लिया। साथ ही वनाग्नि से प्रभावित क्षेत्रों का भी मुख्यमंत्री ने हवाई सर्वेक्षण किया है। विपक्ष का कहना है कि मुख्यमंत्री ने ये तत्परता पहले दिखाई होती तो हालात इतने ना बिगड़ते
कुल मिलाकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं। एक तरफ जहां मुख्यमंत्री ने अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई की है। तो वही दूसरी ओर वनाग्नि को रोकने के लिए सरकार ने अब ‘पिरूल लाओ-पैसे पाओ‘ मिशन पर भी कार्य शुरू कर दिया है। सरकार को उम्मीद है कि इस मिशन से जंगलों की आग से राहत मिल सकेगी देखना होगा मुख्यमंत्री के एक्शन से कबतक हालात सामान्य हो पाते हैं