उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट , पहाड़ प्रदेश उत्तराखंड के बोर्ड का रिजल्ट जारी किया गया है। उत्तराखंड बोर्ड के 10वीं और 12वीं के नतीजे घोषित होने के बाद से छात्रों में उत्साह का माहौल है। वहीं परीक्षा परिणाम में देखने को मिला कि पहाड़ के मुकाबले मैदानी जिलों का प्रदर्शन खराब रहा। यह हाल तब है, जब मैदानी जिलों में पहाड़ की तुलना में शिक्षकों की संख्या और सुविधाएं ज्यादा है। वहीं उत्तराखंड बोर्ड के 10वीं और 12वीं में पास हुए छात्रों का प्रतिशत देखें तो बागेश्वर जिला पहले नंबर पर है। वहीं, खराब प्रदर्शन वाले जिलों में देहरादून और हरिद्वार जिले शामिल हैं। आपको बता दें कि उत्तराखंड के देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जिलों में तैनाती के लिए शिक्षक पूरे साल एड़ी चोटी का जोर लगाए रहते हैं। इसके लिए विधायक, मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक की सिफारिश लगवाते हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि इन जिलों में अधिकतर विद्यालय सुगम क्षेत्र में हैं। सवाल ये है कि आखिर क्यों पहाड़ की तुलना में मैदान में ज्यादा शिक्षक और सुविधाएं होने के बाद भी मैदान पहाड़ से पिछड गया।
उत्तराखंड बोर्ड ने परीक्षा परिणाम जारी कर दिया है। इस वर्ष बारहवी में 82.63 और हाईस्कूल में 89.14 प्रतिशत बच्चों ने परीक्षा पास की, कक्षा10वीं में प्रियांशी रावत ने 500 में से 500 अंक लाकर टॉप किया है.प्रियांशी रावत सीमांत जिले पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट की रहने वाली है। जबकि बारहवी में अल्मोड़ा के पीयूष खोलिया और सरस्वती विद्यालय मंदिर कुसुमखेड़ा हल्द्वानी की छात्रा की कंचन जोशी ने 97.06 प्रतिशत अंक हांसिल कर प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया हैं। बता दें कि इस साल उत्तराखँड बोर्ड के परीक्षा परिणाम में इजाफा देखने को मिला है। इस साल 10वीं और 12वीं दोनों का ही पासिंग प्रतिशत बढ़ा है। 10वीं में इस बार का पासिंग प्रतिशत 89.14 रहा है जो कि पिछले साल के मुकाबले तकरीबन 4 फीसदी ज्यादा है। पिछले वर्ष 10वीं का पासिंग प्रतिशत 85.17 फीसदी था। वहीं इस साल 12वीं का पासिंग प्रतिशत 82.63 फीसदी रहा जो कि पिछले साल के मुकाबले करीब 2 फीसदी ज्यादा है। पिछले वर्ष 12वीं का पासिंग प्रतिशत 80.98 फीसदी था।
आपको बता दें कि उत्तराखंड बोर्ड के पेपर देने वाले 2.10 लाख विद्यार्थी पिछले डेढ़ महीने से परीक्षा परिणाम का इंतजार कर रहे थे। ये इंतजार बच्चों का खत्म हो चुका है। वहीं रिजल्ट जारी होते ही बच्चों में खुशी की लहर देखने को मिली है। हांलाकि परीक्षा परिणाम में देखने को मिला कि पहाड़ के मुकाबले मैदानी जिलों का प्रदर्शन खराब रहा। यह हाल तब है, जब मैदानी जिलों में पहाड़ की तुलना में शिक्षकों की संख्या और सुविधाएं ज्यादा है। 10वीं और 12वीं में पास हुए छात्रों का प्रतिशत देखें तो बागेश्वर जिला पहले नंबर पर है। वहीं, खराब प्रदर्शन वाले जिलों में देहरादून और हरिद्वार जिले शामिल हैं। वहीं अब इस मामले में विपक्ष ने सत्तापक्ष की घेराबंदी की है
कुल मिलाकर उत्तराखँड बोर्ड के परीक्षा परिणाम में इस बार इजाफा देखने को मिला है। इस साल 10वीं और 12वीं दोनों का ही पासिंग प्रतिशत बढ़ा है। हांलाकि 10 में पिछले साल के मुकाबले 4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जबकि 12वीं के पासिंग प्रतिशत में मात्र 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली है। ऐसे में इस प्रदर्शन को बहुत अच्छा तो नहीं कहा जा सकता है। वहीं तमाम सुविधाओं के बावजूद मैदानी क्षेत्रों का प्रदर्शन बेहतर ना होना भी एक चिंता की बात है। देखना होगा शिक्षा विभाग इसमें क्या कुछ सुधार करता है