रिपोर्ट- मो0 रज़ी सिद्दीकी
बाराबंकी – सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलीगढ़ में बीजेपी उम्मीदवार सतीश कुमार गौतम के समर्थन में एक चुनावी रैली को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने सपा और कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। प्रधानमंत्री के इस बयान पर बाराबंकी में आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ के प्रदेश अध्यक्ष वसीम राईन उनका समर्थन किया और पसमांदा मुसलमानों के लिए राजनीतिक भागीदारी और सामाजिक बराबरी के लिए उनका शुक्रिया अदा करते हैं और धन्यवाद दिया |
सपा और कांग्रेस बराबर हमारा वोट लेते आई
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलीगढ़ में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए सपा और कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा, उन्होंने कहा कि जब मैं पसमांदा मुसलमानों की मुसीबत की चर्चा करता हूं, तो इनके बाल खड़े हो जाते हैं क्योंकि ऊपर के लोगों ने मलाई खाई और पसमांदा मुसलमानों को उनके हालात पर जीने के लिए मजबूर कर दिया गया। प्रधानमंत्री के इस बयान पर बाराबंकी में आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ के प्रदेश अध्यक्ष वसीम राईन ने कहा कि सपा और कांग्रेस बराबर हमारा वोट लेते आई है। लेकिन इन्होंने कभी भी हमारा नाम लेना उचित नहीं समझा। देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने पसमांदा मुसलमानों के लिए राजनीतिक भागीदारी और सामाजिक बराबरी के लिए जिस तरह से आवाज उठाई है,हम उनका शुक्रिया अदा करते हैं और धन्यवाद देते हैं।
कांग्रेस ने तो हमें दलित से बदतर हालत पर पहुंचा दिया
आगे वसीम राईन ने कहा कि हमारा सवाल तो उन लोगों से है जो हमारा बराबर वोट लेते चले आए हैं लेकिन हमारा पसमांदा नाम लेना भी उचित नहीं समझा। कांग्रेस ने तो हमें दलित से बदतर हालत पर पहुंचा दिया और हमारा नाम भी नहीं लेते हैं। देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री ने पसमांदा मुसलमान का दर्द समझा और आवाज उठाई। उनके आवाज उठाने से इन लोगों को दर्द जरूर होता है, लेकिन कभी पसमांदा मुसलमानों का नाम लेना कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने उचित नहीं समझा।
उत्तर प्रदेश में किसी अंसारी को गठबंधन ने टिकट नहीं
इतनी बड़ी आबादी पसमांदा मुसलमानों की है और उसमें सबसे बड़ी आबादी ‘अंसारी’ बिरादरी की है। लेकिन पूरे उत्तर प्रदेश में किसी अंसारी को गठबंधन ने टिकट नहीं दिया है। तो जिस तरह से यह लोग टिकट नहीं दे रहे हैं, संगठनों में जगह नहीं दे रहे हैं, सिर्फ वोट लेना चाह रहे हैं। तो टिकट न देना उनकी मजबूरी रही होगी, लेकिन पसमांदा मुसलमानों की कोई मजबूरी नहीं है कि उनको वोट करें। आगे वसीम राईन ने कहा कि आने वाले 2024 के चुनाव रिजल्ट में गठबंधन को पता चल जाएगा कि पसमांदा मुसलमान को नजर अंदाज करने का नतीजा क्या होता है।