सुलगते पहाड़, धधकते जंगल !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, देवभूमि उत्तराखंड में सूर्य की बढ़ती तपिश के साथ ही जंगलों में आग धधकती जा रही है। चढ़ते पारे के बीच उत्तराखंड के जंगलों में आग की घटनाओं में चिंताजनक रूप से बढ़ोतरी हो रही है। वनाग्नि की चपेट में आने से 500 से अधिक हेक्टेयर जंगल आग की भेंट चढ़ चुके हैं। बात करें पिछले 24 घंटे की तो राज्यभर में 52 से ज्यादा स्थानों पर वनाग्नि की घटनाएं सामने आई है। जिसमें 77 हेक्टेयर जंगल जल गए, जो इस सीजन में एक रिकॉर्ड है। इन आंकड़ों ने वन विभाग के अधिकारियों के माथे पर पेशानी ला दी है। वन विभाग के अनुसार, कुमाऊं में वनाग्नि की 35 और गढ़वाल क्षेत्र में 14 घटनाएं दर्ज की गईं। जबकि, तीन घटनाएं संरक्षित क्षेत्र में सामने आईं। इस सीजन में राज्यभर में अब तक वनाग्नि की 431 घटनाएं हो चुकी हैं। जिसमें कुल 517 हेक्टेयर जंगल आग की भेंट चढ़ चुके हैं। ग्यारह लाख 30 हजार से ज्यादा मूल्य की वन संपदा को नुकसान अबतक हो चुका है। वहीं जंगलों में लगी आग अब रिहायशी इलाकों तक पहुंच गई है। लगातार बढ़ती आग ने सरकार की चिंता को बढ़ा दिया है। वहीं राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों की बैठक बुलाई जिसमें उन्होने कहा कि जंगलों में जानबूझकर आग लगाने वालों के खिलाफ सख्ती बरती जाए। जहां भी जंगलों में आग लगेगी, वहां संबंधित वन अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए। इसके अलावा सरकार ने टोल फ्री नम्बर भी जारी किया है। वहीं जंगलों में बढ़ती आग के बाद राज्य में सियासत गरमा गई है। कांग्रेस का कहना है कि सरकार ने वनाग्नि से बचने के लिए कोई तैयारी नहीं की है। सवाल ये है कि गर्मी की शुरूआत में यदि ये हाल है तो आगे क्या परिस्थिति होगी इसका अनुमान ही लगाया जा सकता है,

हिमालयी राज्य उत्तराखंड में बढ़ती गर्मी के साथ ही जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ती जा रही है। बढ़ते तापमान और बारिश के ना होने से इस आग ने चौतरफा पहाड़ को अपने आगोश में ले लिया है। आलम ये है कि इस वनाग्नि ने 517 हेक्टेयर जंगल को अपनी चपेट में ले लिया है। सोमवार को पूरे प्रदेशभर में 52 से ज्यादा स्थानों पर वनाग्नि की घटनाएं सामने आई है। जिसमें 77 हेक्टेयर जंगल जल गए, जो इस सीजन में एक रिकॉर्ड है। इन आंकड़ों ने वन विभाग के अधिकारियों के माथे पर पेशानी ला दी है। वन विभाग के अनुसार, कुमाऊं में वनाग्नि की 35 और गढ़वाल क्षेत्र में 14 घटनाएं दर्ज की गईं। जबकि, तीन घटनाएं संरक्षित क्षेत्र में सामने आईं। इस सीजन में राज्यभर में अब तक वनाग्नि की 431 घटनाएं हो चुकी हैं। जिसमें कुल 517 हेक्टेयर जंगल आग की भेंट चढ़ चुके हैं। ग्यारह लाख 30 हजार से ज्यादा मूल्य की वन संपदा को नुकसान अबतक हो चुका है।

आपको बता दें कि उत्तराखंड का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 53 हजार 483 किमी  है, जिसमें से 86% पहाड़ी है और 65% जंगल से ढका हुआ है…इसमें से 517 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आ गये हैं। वहीं ये आग लगातार बढ़ते हुए अब कई स्थानों पर रिहायशी इलाकों तक पहुंच गई है। जिससे सरकार की चिंता बढ़ गई है। वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों की बैठक बुलाई जिसमें उन्होने कहा कि जंगलों में जानबूझकर आग लगाने वालों के खिलाफ सख्ती बरती जाए। जहां भी जंगलों में आग लगेगी, वहां संबंधित वन अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए। इसके अलावा सरकार ने टोल फ्री नम्बर भी जारी किया है। वहीं जंगलों में बढ़ती आग के बाद राज्य में सियासत गरमा गई है। कांग्रेस का कहना है कि सरकार ने वनाग्नि से बचने के लिए कोई तैयारी नहीं की है। जबकि भाजपा का कहना है कि वनाग्नि से बचाव के लिए सभी इंतजाम किए गये हैं

 

 कुल मिलाकर गर्मी बढ़ने और बारिश ना होने से जंगलों में लगी आग अपने दायरे को बढ़ाती जा रही है। जो किं चिंता बढ़ा रही है। सवाल ये है कि गर्मी की शुरूआत में यदि ये हाल है तो आगे क्या हाल होगा, आखिर क्यों वन विभाग ने समय रहते पूरी तैयारी नहीं की। आखिर कब धधकते जंगलों से उत्तराखंडवासियों को राहत मिलेगी…

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