KNEWS DESK- आज यानी 5 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के 25 हजार मदरसों के 17 लाख छात्रों को बड़ी राहत दी है। आपको बता दें कि शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है जिसमें यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट को असंवैधानिक करार दिया था। इतना ही नहीं कोर्ट ने 30 जून 2024 तक मदरसा बोर्ड, यूपी सरकार और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला सही नहीं- सुप्रीम कोर्ट
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला सही नहीं है। इस तरीके से ये धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन है। आपको बता दें कि खुद यूपी सरकार ने भी हाईकोर्ट में एक्ट का बचाव किया था और अब देश की सर्वोच्च अदालत का फैसला सामने आया है या ये कहें कि अब 2004 के मदरसा बोर्ड कानून के तहत ही मदरसों में पढ़ाई- लिखाई चलती रहेगी।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने की। साथ ही बेंच ने यूपी सरकार से पूछा कि क्या हम यह मान लें कि राज्य ने हाईकोर्ट में कानून का बचाव किया है? जिस पर यूपी सरकार की तरफ से ASG केएम नटराज ने कहा कि हमने हाईकोर्ट में इसका बचाव किया था लेकिन हाईकोर्ट के कानून को रद्द करने के बाद हमने फैसले को स्वीकार कर लिया है।
यूपी मदरसा बोर्ड की तरफ से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का अधिकार नहीं बनता कि वो इस एक्ट को रद्द करे। इस फैसले से राज्य में चल रहे करीब 25,000 मदरसे में पढ़ने वाले 17 लाख छात्र प्रभावित हुए हैं। साल 2018 में यूपी सरकार के आदेश से ही इन मदरसों में विज्ञान, पर्यावरण, मैथ यानी गणित जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं।
क्या है यूपी बोर्ड मदरसा एक्ट 2004?
यूपी बोर्ड का मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 यूपी सरकार द्वारा लाया गया कानून था जो प्रदेश में मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए बनाया गया था इस कानून में मदरसों को बोर्ड से मान्यता प्राप्त करने के लिए कुछ मानकों को पूरा करना आवश्यक था बता दें कि बोर्ड मदरसों को पाठ्यक्रम शिक्षण सामग्री और शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए भी दिशा- निर्देश दिए गए थे।
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