KNEWS DESK- लोकसभा चुनावों की तारीखों का जल्द ऐलान होना है। ऐसे में राजनैतिक दल वोट मांगने के लिए कमर कस रहे हैं। हालांकि ये वोटर हैं, जिनके हाथों में अपने निर्वाचन क्षेत्रों के भविष्य को संवारने की चाबी है|
पश्चिमी महाराष्ट्र में अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों के लोगों के मुद्दे भी अलग-अलग हैं। बारामती में किसानों से जुड़े मुद्दे सबसे आगे हैं। बढ़ती बेरोजगारी भी खास चुनावी मुद्दा है। पश्चिमी महाराष्ट्र के अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों के युवाओं का कहना है कि रोजगार देने के वादे किए गए थे लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा|
पुणे में सड़कों और ट्रैफिक से जुड़े मुद्दों का सबसे ज्यादा जिक्र किया जाता है| लोगों की शिकायत है कि फुटपाथों पर भी कारों और दोपहिया वाहनों ने कब्जा कर लिया है|महाराष्ट्र में 2019 में हुए पिछले चुनावों के बाद से राजनैतिक उतार- चढ़ाव देखने को मिले हैं| इसमें शिवसेना और एनसीपी का टूटना शामिल है। इस वजह से राज्य के लोगों में अविश्वास बढ़ा है।
मावल और पुणे के लोग इलाके में बढ़ते अपराध को लेकर परेशान दिख रहे हैं। लोकसभा के हिसाब से पश्चिमी महाराष्ट्र राज्य की सबसे बड़ी वजह है। यहां से 11 सांसद चुनकर निचले सदन में पहुंचते हैं। शिवसेना के टूटने के बाद 2019 में शिवसेना (उद्धव गुट) के श्रीरंग चंदू बारने ने मावल सीट से जीत हासिल की थी।
वहीं एनसीपी यानी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गढ़ माने जाने वाले बारामती से शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने जीत दर्ज की थी। पुणे में बीजेपी की सीट चली गई लेकिन गिरीश बापट के निधन के बाद ये सीट खाली हुई है।