KNEWS DESK- कड़ाके की ठंड के बीच बिहार में सियासत का पारा हाई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। नीतीश कुमार शायद ऐसे पहले नेता होंगे जो मुख्यमंत्री बनने के लिए मुख्यमंत्री पद से बार-बार इस्तीफा दे देते हैं यानी नीतीश कुमार तो अपनी कुर्सी पर बरकरार रहते हैं लेकिन उनके लेफ्ट राइट यानी कि गठबंधन वाली पार्टियां बदलती रहती हैं। कभी वे बीजेपी के गठबंधन में आ जाते हैं तो कभी उसकी धुर विरोधी कांग्रेस के गठबंधन में तो कभी आरजेडी के गठबंधन में। तभी तो इस बार भी RJD का साथ छोड़कर नीतीश ने जैसे ही बीजेपी से हाथ मिलाया। बिहार में जगह जगह पोस्टर लग गए “नीतीश सबके हैं..सब पर बीस नीतीश” मुख्यमंत्री रहते हुए नीतीश कुमार का यह चौथा यू टर्न होगा। अगस्त 2022 में उन्होंने बीजेपी का साथ छोड़ा था और 2 साल से भी कम वक्त में वह दोबारा एनडीए से जुड़ गए हैं ।
9वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे नीतीश कुमार
नीतीश कुमार नौवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे हैं। नीतीश कुमार न सिर्फ सबसे लंबे समय से बिहार के मुख्यमंत्री हैं बल्कि अब तक सबसे ज्यादा बार मुख्यमंत्री पद की शपथ भी उन्होंने ही ली है। मार्च 2000 में नीतीश कुमार ने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इसके बाद तो ये सिलसिला सा चल निकला। 22 नवंबर 2005 में नीतीश कुमार ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली इसके बाद 26 नवंबर 2010, 22 फरवरी 2015, 27 जुलाई 2017, 16 नवंबर 2020, 9 अगस्त 2022 और अब 2024… नीतीश कुमार 9वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे हैं।
मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए नीतीश कुमार किसी भी पार्टी से हाथ मिलाने के लिए तैयार हो जाते हैं इसीलिए लालू यादव ने इनका नाम पलटू राम रख दिया था। लालू यादव ने एक बार संसद में नीतीश कुमार के लिए ये भी कहा था कि नीतीश कुमार के पेट में दांत है। नीतीश कुमार के पलटने के इसी हुनर पर साल 2017 में लालू यादव ने ट्विटर पर लिखा था कि नीतीश सांप है जैसे सांप केंचुल छोड़ता है वैसे ही नीतीश भी केंचुल छोड़ता है और हर 2 साल में साँप की तरह नया चमड़ा धारण कर लेता है। किसी को शक?
राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी नीतीश कुमार ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी और एक वक्त ऐसा भी था जब वह राजनीति से संन्यास लेना चाहते थे। दरअसल, NIT पटना से इंजीनियर की पढ़ाई पूरा करने के तुरंत बाद ही नीतीश कुमार की शादी हो गई। इसके बाद ही उन्होंने राजनीति में जाने का फैसला कर लिया। नीतीश कुमार जेपी आंदोलन से भी जुड़े रहे। इसके बाद वह जनता पार्टी में शामिल हो गए । 2017 में बिहार में विधानसभा चुनाव हुए तो नीतीश कुमार जनता पार्टी की तरफ से हरनौत सीट से खड़े हुए लेकिन हार गए। दूसरी बार नीतीश कुमार जनता पार्टी सेकुलर की तरफ से दोबारा हरनौत सीट से खड़े हुए लेकिन दोबारा भी उन्हें हार का ही सामना करना पड़ा। नीतीश कुमार इतना टूटे कि उन्होंने राजनीति छोड़ने का भी मन बना लिया लेकिन उन्होंने अपनी किस्मत को एक आखिरी मौका दिया। साल 1985 में उन्होंने तीसरी बार हरनौत सीट से चुनाव लड़ा और इस बार 21,000 से ज्यादा वोटों के अंतर से उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के बृजनंदन प्रताप सिंह को हरा दिया और पहली बार विधानसभा पहुंचे लेकिन उनका अगला पड़ाव लोकसभा था । 1989 में लोकसभा के चुनाव में नीतीश बाढ़ सीट से जीत कर संसद पहुंचे। इसके बाद 1991 में दूसरी बार इसी सीट से लोकसभा का चुनाव जीते। तीसरी बार 1996 में, चौथी बार 1998 में और पांचवी बार 1999 में लोकसभा चुनाव जीता। नीतीश कुमार ने अपना आखिरी लोकसभा चुनाव 2004 में लड़ा इस चुनाव में नीतीश कुमार नालंदा और बाढ़ दोनों सीटों से खड़े हुए थे हालांकि वह बाढ़ से हार गए और नालंदा से जीत गए। ये नीतीश कुमार का आखिरी चुनाव था। इसके बाद नीतीश कुमार कभी कोई चुनाव नहीं लड़े।
इसी बीच साल 2000 में बीजेपी के समर्थन से नीतीश कुमार ने पहली बार मुख्यमंत्री पद के शपथ ली हालांकि बहुमत नहीं होने के चलते 7 दिन के बाद ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। साल 2005 में नीतीश कुमार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने तब बीजेपी जेडीयू गठबंधन के पास बहुमत था अगले साल नीतीश कुमार विधान परिषद के सदस्य बने। साल 2014 से फरवरी 2015 के बीच का समय छोड़ दिया जाए तो नवंबर 2005 से अब तक नीतीश कुमार लगातार बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं। अब आपको बताते हैं कि मुख्यमंत्री रहते हुए नीतीश कुमार ने कितनी बार पलटी मारी है। पहली बार साल 2013 में जब बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाया तो इससे नाराज होकर नीतीश ने एनडीए से गठबंधन तोड़ लिया उन्होंने आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाई। 2014 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू की हार के बाद नीतीश ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया। दूसरी बार 2015 का चुनाव नीतीश ने आरजेडी के साथ मिलकर लड़ा और महा गठबंधन की सरकार बनी लेकिन 2017 में तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद नीतीश ने 26 जुलाई 2017 को सीएम पद से इस्तीफा दे दिया और गठबंधन भी तोड़ दिया इसके बाद उन्होंने एनडीए के साथ मिलकर सरकार बनाई। हालांकि 2022 में नीतीश कुमार और बीजेपी के बीच अनबन फिर शुरू हो गई। ये अनबन इतनी बढ़ी कि 9 अगस्त 2022 को उन्होंने बीजेपी का साथ छोड़ दिया । यहां तक कि नीतीश ने ये तक कह दिया कि वो मरना पसंद करेंगे लेकिन बीजेपी के साथ दोबारा सरकार नहीं बनाएंगे। इसके बाद तीसरी बार पलटी मारते हुए उन्होंने आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई । जनवरी 2024 में नीतीश कुमार की आरजेडी से तनातनी शुरू हो गई और आखिरकार नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग हो गए और चौथी बार यूटर्न मारते हुए बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना रहे हैं।
एक ओर जहां नीतीश कुमार कह रहे हैं कि उन्होंने अपने लोगों की राय सुनी तो दूसरी तरफ विपक्ष के भी अलग- अलग बयान आ रहे हैं। बिहार में सियासी घमासान पर आरजेडी का बड़ा बयान सामने आया है। आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने कहा है कि नीतीश कुमार सिद्धांतहीन राजनीति का पाप कैसे कर सकते हैं, जबकि उन्होंने कहा था कि वे अब कभी भी बीजेपी में नहीं जाएंगे। इसी बीच लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने एक्स पर पोस्ट के ज़रिये नीतीश कुमार पर कटाक्ष किया है। उन्होंने लिखा है कि उसके साथ रहना बेकार है जिसकी विचारधारा गिरगिट कुमार है….
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक्स पर लिखा कि देश में ‘आया राम- गया राम’ जैसे कई लोग हैं।
खैर लोग कुछ भी कहें नीतीश कुमार को कुछ फर्क नहीं पड़ता। उनकी निगाह हमेशा कुर्सी की ही ओर रहती है और कुर्सी के लिए नीतीश कुमार कुछ भी करेंगे।
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