डिजिटल डेस्क- उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में कोडीन युक्त कफ सिरप की अवैध तस्करी से जुड़े एक बड़े और संगठित नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है। दवा कारोबार की आड़ में चल रहे इस अंतरराष्ट्रीय तस्करी रैकेट पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) और लखनऊ एसटीएफ की संयुक्त कार्रवाई के बीच सहारनपुर खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए विशाल राणा और विभोर राणा की GR ट्रेडिंग कंपनी के साथ-साथ एबॉट हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड का ड्रग लाइसेंस तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है। खास बात यह रही कि लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया ठीक उसी वक्त पूरी की गई, जब ईडी की टीमें राणा बंधुओं से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी में जुटी हुई थीं। औषधि विभाग की जांच में GR ट्रेडिंग कंपनी बीते लगभग एक साल से बंद पाई गई। निरीक्षण के दौरान मौके पर मौजूद गार्ड ने स्पष्ट किया कि वहां किसी प्रकार का दवा कारोबार नहीं हो रहा है। फर्म के संचालक मौके से गायब मिले और विभाग द्वारा भेजा गया नोटिस भी वापस लौट आया, जिसके बाद अधिकारियों ने इसे नियमों का जानबूझकर उल्लंघन माना।
कागजों में दिखाई जाती थी फर्जी बिक्री
एसटीएफ की जांच में चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। जांच एजेंसी के अनुसार, GR ट्रेडिंग के नाम पर कोडीन युक्त कफ सिरप की फर्जी बिक्री कागजों में दिखाई जाती थी, जबकि वास्तविक खेप बांग्लादेशी तस्करों तक पहुंचाई जाती थी। लाइसेंस विभोर राणा के नाम पर दर्ज थे और उन्हीं के आधार पर पूरे नेटवर्क को संचालित किया जा रहा था। इस मामले में विभोर राणा के खिलाफ लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी थाने में धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश की गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।
हरिद्वार और दिल्ली में बनाई थी फर्जी फर्में
जांच एजेंसियों का कहना है कि तस्करी को छिपाने के लिए हरिद्वार और दिल्ली में कई फर्जी मेडिकल फर्में बनाई गई थीं। इन्हीं फर्मों के जरिये कोडीन आधारित दवाओं की कागजी सप्लाई दिखाई जाती रही। जांच में कई सहयोगियों के नाम भी सामने आए हैं, जो अलग-अलग राज्यों में इस नेटवर्क को संभाल रहे थे। इन्हीं तथ्यों के आधार पर सहारनपुर औषधि विभाग ने GR ट्रेडिंग के दोनों लाइसेंस रद्द कर दिए हैं।