KNEWS DESK – सावन मास के पवित्र सोमवार का विशेष महत्व है, और 12 अगस्त 2024 को इस महीने का चौथा सोमवार मनाया जाएगा। इस दिन सावन की सप्तमी और अष्टमी तिथियों का संयोग होगा, साथ ही स्वाति और विशाखा नक्षत्र, शुक्ल और ब्रह्म योग का महासंयोग भी बनेगा। इन शुभ संयोगों में भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना अत्यंत फलदायी और कल्याणकारी मानी जाती है। आइए जानें, भगवान शिव के चार प्रमुख स्वरूपों के बारे में और उनकी उपासना से कैसे लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
1. नटराज शिव
भगवान शिव का नटराज स्वरूप कला, नृत्य, और सृजन का प्रतीक है। इस रूप में भगवान शिव को विश्व के नृत्य और कला का स्वामी माना जाता है। नटराज शिव के पांव के नीचे एक बौना दानव कुचला हुआ है, जो अज्ञानता का प्रतीक है। शिव का यह रूप अज्ञानता और अंधकार को नष्ट करता है। नटराज शिव की पूजा करने से जीवन में सुख, शांति, और आनंद की प्राप्ति होती है। विशेषकर जो लोग कला, संगीत, और ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्रों से जुड़े हैं, उनके लिए इस स्वरूप की उपासना से इन क्षेत्रों में सिद्धि और सफलता प्राप्त की जा सकती है।
2. नीलकंठ शिव
नीलकंठ शिव का स्वरूप विशेष रूप से समाजिकता, सेवा, और परोपकार के गुणों को जागृत करता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जिन लोगों को विरोधियों से भय या षडयंत्र का एहसास होता है, उन्हें नीलकंठ शिव की पूजा करनी चाहिए। सावन सोमवार के दिन नीलकंठ शिव की उपासना से व्यक्ति को उनके अभीष्ट फल प्राप्त होते हैं। यह स्वरूप उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो समाज में सेवा और परोपकार के कार्य करना चाहते हैं।
3. महाकाल शिव
महाकाल शिव को मृत्युंजय शिव भी कहा जाता है। ये स्वरूप मृत्यु और अकाल मृत्यु से सुरक्षा का प्रतीक है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, महाकाल शिव की पूजा से मृत्यु पर विजय प्राप्त की जा सकती है और स्वास्थ्य लाभ मिल सकता है। इस स्वरूप की उपासना से व्यक्ति की आयु रक्षा होती है और किसी भी स्वास्थ्य समस्या का समाधान हो सकता है। सावन सोमवार पर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करके आप इस पावन दिन का विशेष लाभ उठा सकते हैं।
4. बालकनाथ शिव
भगवान शिव का बालकनाथ स्वरूप विशेष रूप से संतान सुख और मानसिक शांति का प्रतीक है। यह स्वरूप उन लोगों के लिए लाभकारी होता है जो संतान प्राप्ति में समस्याओं का सामना कर रहे हैं या मानसिक अशांति और अनिद्रा से परेशान हैं। बालकनाथ शिव की पूजा से मानसिक शांति, सुख, और संतानों की प्राप्ति में मदद मिलती है। सावन के चौथे सोमवार पर इस स्वरूप की उपासना करके आप इन समस्याओं से निजात पा सकते हैं।