KNEWS DESK – संतान सप्तमी एक महत्वपूर्ण हिन्दू व्रत है, जिसे संतान की लंबी आयु और संतान प्राप्ति की कामना के लिए किया जाता है। इस साल संतान सप्तमी व्रत 10 सितंबर 2024, मंगलवार को मनाया जाएगा। इस लेख में हम आपको संतान सप्तमी की सही तिथि, मुहूर्त, पूजा विधि और आवश्यक सामग्री की जानकारी प्रदान करेंगे।
संतान सप्तमी की तिथि और शुभ मुहूर्त (Santan Saptami 2024 Date and Muhurat)
संतान सप्तमी का व्रत 10 सितंबर 2024, मंगलवार को रखा जाएगा। हालांकि सप्तमी तिथि 9 सितंबर को शाम 5 बजे से शुरू होगी, लेकिन उदया तिथि के अनुसार व्रत 10 सितंबर को ही किया जाएगा क्योंकि यह तिथि सूर्योदय तक रहेगी।
- सप्तमी तिथि प्रारंभ: 9 सितंबर 2024 को शाम 5:00 बजे
- सप्तमी तिथि समाप्ति: 10 सितंबर 2024 को शाम 5:47 बजे
संतान सप्तमी का महत्व
संतान सप्तमी व्रत का उद्देश्य संतान की लंबी उम्र और उनकी भलाई की प्रार्थना करना है। यह व्रत विशेष रूप से उन महिलाओं द्वारा किया जाता है जो संतान प्राप्ति की कामना करती हैं या अपने बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य की कामना करती हैं। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।
पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता
संतान सप्तमी की पूजा के लिए विभिन्न सामग्री की आवश्यकता होती है। इस पूजा के लिए सबसे पहले भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा या चित्र की आवश्यकता होती है, जिन्हें पूजा स्थल पर स्थापित किया जाएगा। पूजा के लिए एक लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाया जाता है। इसके साथ ही एक कलश में जल भरकर, उसमें सुपारी, अक्षत (चिउड़े), और सिक्का डालकर आम के पल्लव से सजाया जाता है। पूजा की अन्य सामग्री में रोली, मौली, केले के पत्ते, फल और फूल शामिल हैं। भोग के लिए सात-सात पूआ या मीठी पूड़ी तैयार की जाती है। कपूर, लौंग, सुपारी और सुहाग का सामान भी पूजा में प्रयोग किया जाता है। अंत में, चांदी का कड़ा या रेशम का धागा व्रति द्वारा पहनने के लिए रखा जाता है। इन सभी वस्तुओं का प्रयोग संतान सप्तमी की पूजा को विधिवत और पूर्ण रूप से सम्पन्न करने के लिए किया जाता है।
संतान सप्तमी की पूजा विधि (Santan Saptami Puja Vidhi)
- प्रात:काल स्नान और संकल्प: पूजा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। व्रत का संकल्प लें।
- भोग तैयारी: गुड़ और आटे को मिलाकर सात-सात पूआ, खीर आदि तैयार करें।
- पूजा स्थल की तैयारी: गंगाजल से छिड़ककर पूजा स्थल को शुद्ध करें। लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- कलश स्थापना: कलश में जल, सुपारी, अक्षत और सिक्का डालें और उस पर आम का पल्लव लगाएं। कलश के ऊपर चावल की प्लेट में दीपक जलाएं।
- पूजा: भगवान को चढ़ाने वाले पूआ और खीर को केले के पत्ते में बांधकर पूजा स्थल पर रखें। फल-फूल, धूप और दीप से विधिवत पूजा करें। चांदी के कड़े को शिव परिवार के सामने रखकर दूध और जल से शुद्ध करें, फिर उसे दाहिने हाथ में पहनें।
- व्रत कथा: संतान सप्तमी व्रत कथा सुनें और पूजा के अंत में भगवान का आशीर्वाद लें।
- पारण: दोपहर 12 बजे के बाद पूजा समाप्त करें। सात पूआ ब्राह्मण को दें और बचे हुए पूआ को स्वयं प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। इससे व्रत का पारण करें।
पुराने चांदी के कड़े की शुद्धि
यदि नया चांदी का कड़ा नहीं खरीद पा रहे हैं, तो पुराने कड़े को गाय के दूध में धोकर शुद्ध किया जा सकता है।
संतान सप्तमी व्रत विशेष रूप से संतान के सुख और समृद्धि की कामना के लिए किया जाता है। इस दिन की पूजा विधियों का पालन करते हुए सही तरीके से व्रत करने से संतान की सुरक्षा और दीर्घायु की प्रार्थना की जाती है।