KNEWS DESK – 2024 का अंतिम चंद्र ग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा के अवसर पर लगेगा, जो कि 17 और 18 सितंबर के बीच होगा। यह चंद्र ग्रहण बुधवार के दिन होगा और भारतीय समय के अनुसार सुबह 6:12 बजे से शुरू होगा, जो कि सुबह 10:17 बजे तक चलेगा। इसके लिए सही तारीख और समय को लेकर कुछ भ्रम है, इसलिए आइए स्पष्ट करें कि चंद्र ग्रहण कब लगेगा और सूतक का समय क्या होगा।
चंद्र ग्रहण की तिथि और समय
बता दें कि भारतीय समय के अनुसार, इस साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 18 सितंबर को सुबह 6 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगा और सुबह 10 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा। इस दौरान आंशिक चंद्र ग्रहण सुबह 7 बजकर 42 मिनट पर होगा, और चंद्र ग्रहण का चरम समय सुबह 8 बजकर 14 मिनट पर रहेगा। कुल मिलाकर, यह चंद्र ग्रहण लगभग 4 घंटे और 5 मिनट तक चलेगा।
- ग्रहण का प्रारंभ: 18 सितंबर 2024 को सुबह 06:12 बजे
- ग्रहण का समाप्ति: 18 सितंबर 2024 को सुबह 10:17 बजे
भारत में चंद्र ग्रहण की दृश्यता
इस बार का चंद्र ग्रहण भारत में दिन के समय में पड़ेगा, इसलिए भारतीय लोगों के लिए यह ग्रहण दृश्य नहीं होगा। भारतीय समय अनुसार ग्रहण का समय दिन के 6 बजे से शुरू होगा, जब सूरज की रोशनी सक्रिय होती है, जिससे ग्रहण को देखना संभव नहीं होगा। इसके अलावा, चंद्र ग्रहण के सूतक का कोई प्रभाव भी भारत में नहीं पड़ेगा, क्योंकि सूतक केवल ग्रहण के दृश्य समय के दौरान ही मान्य होता है और इस बार ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा।
सूतक का समय
चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक 9 घंटे पूर्व से लागू होता है। चूंकि चंद्र ग्रहण 18 सितंबर को सुबह 06:12 बजे शुरू होगा, सूतक 17 सितंबर को रात 09:12 बजे से लागू होगा। इस समय के दौरान, धार्मिक और मांगलिक कार्यों से बचना चाहिए।
धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताएँ
चंद्र ग्रहण के दौरान पृथ्वी पर राहु का प्रभाव बढ़ जाता है, जिसके कारण धार्मिक मान्यता के अनुसार ग्रहण के समय मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए। खानपान पर भी ध्यान देना चाहिए और विशेष रूप से मांसाहारी भोजन से परहेज करना चाहिए।
राहु के प्रभाव को कम करने के लिए, भगवान विष्णु के मंत्रों का जप करना लाभकारी माना जाता है। चंद्र ग्रहण समाप्ति के बाद, स्नान, ध्यान और पूजा-पाठ करके पितरों का तर्पण करना उचित होता है।
भारत में चंद्रग्रहण की दृश्यता
भारत में इस चंद्र ग्रहण को पूरी तरह से देखना संभव नहीं होगा। इसका मुख्य कारण यह है कि जब चंद्र ग्रहण का आंशिक चरण प्रारंभ होगा, उस समय पूरे भारत में चंद्रमा अस्त हो चुका होगा। इसी प्रकार, जब ग्रहण का चरम बिंदु होगा, तब भी भारत के अधिकांश भागों में चंद्रमा अस्त रहेगा।
- दृश्यता: भारत में चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा की हल्की धुंधली छाया ही दिखाई देगी। चंद्रमा पर केवल हल्का सा प्रभाव होगा और चंद्रमा की रोशनी भी धुंधली हो जाएगी। इस कारण, चंद्र ग्रहण को पूरी तरह से देखने की संभावना नहीं है।
- शास्त्रीय दृष्टिकोण: चूंकि इस चंद्रग्रहण का प्रभाव भारत में स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देगा, इसे शास्त्रों में ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा गया है। इसलिए, भारत में पितृपक्ष के दौरान सभी धार्मिक कर्म और अनुष्ठान सामान्य रूप से किए जा सकते हैं।
- सूतक काल: इस चंद्र ग्रहण का सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा। चूंकि ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा और चंद्रमा की केवल हल्की छाया पड़ेगी, सूतक के नियम और प्रतिबंध इस समय लागू नहीं होंगे।
बता दें कि 18 सितंबर 2024 को होने वाला चंद्र ग्रहण भारत में पूरी तरह से दिखाई नहीं देगा और इसका कोई विशेष प्रभाव भी नहीं होगा। इस कारण पितृपक्ष के सभी कर्म और पूजा-पाठ सामान्य रूप से किए जा सकते हैं, बिना किसी ग्रहण के प्रभाव के चिंता किए।