डिजिटल डेस्क- पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में हाल ही में एक भव्य धार्मिक आयोजन हुआ, जिसमें करीब पांच लाख लोगों ने सामूहिक रूप से गीता पाठ किया। इस कार्यक्रम में राज्यपाल सीवी आनंद बोस, बंगाल बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुकांत मजूमदार, सुवेंदु अधिकारी, दिलीप घोष सहित अनेक गणमान्य नागरिक और धर्माचार्य मौजूद रहे। विशेष रूप से बागेश्वर धाम से आए पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और साध्वी ऋतंभरा ने इस आयोजन को और भी आध्यात्मिक बनाते हुए लोगों का मार्गदर्शन किया। इस अवसर पर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने भारत में सनातनी विचारधारा की महत्ता पर जोर देते हुए कहा, “हम भारत में ‘सनातनी’ चाहिए, ‘तनातनी’ नहीं। भारत में हमें ‘भगवा-ए-हिंद’ चाहिए, ‘ग़ज़वा-ए-हिंद’ नहीं। सनातन एकता ही इस देश एवं दुनिया के लिए शांति का सबसे बड़ा संदेश है। पश्चिम बंगाल और कोलकाता के लोगों का और पूरे देशवासियों का मैं दिल से आभार व्यक्त करता हूँ।”
सनातन संस्कृति की रक्षा पर दिया जोर
धीरेंद्र शास्त्री ने अपने संबोधन में हिंदू धर्म और सनातन संस्कृति की रक्षा की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उनका कहना था कि धर्म और संस्कृति का सही मार्ग अपनाने से ही समाज में शांति और समरसता बनी रहती है। उन्होंने कहा कि गीता पाठ जैसे सामूहिक आयोजन लोगों के बीच एकता और अध्यात्मिक चेतना को जागृत करते हैं। कार्यक्रम में शामिल लोगों ने भी उत्साहपूर्ण भागीदारी दिखाई और गीता के श्लोकों का सामूहिक पाठ कर आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव किया। बंगाल बीजेपी के नेताओं ने भी इस अवसर पर धर्म और संस्कृति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। सुकांत मजूमदार और सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि इस तरह के आयोजन समाज में नैतिकता और आध्यात्मिक चेतना को मजबूत करते हैं।
जनसमूह से आग्रह किया
धीरेंद्र शास्त्री और साध्वी ऋतंभरा ने आयोजन के दौरान उपस्थित लोगों को मार्गदर्शन देते हुए कहा कि सनातन धर्म केवल धार्मिक आस्थाओं का नाम नहीं, बल्कि जीवन जीने का मार्गदर्शन है। उन्होंने उपस्थित जनसमूह से आग्रह किया कि वे अपने जीवन में गीता के संदेशों को आत्मसात करें और समाज में सकारात्मक बदलाव लाएं।