सजा के बाद सामने आई शेख हसीना की पहली प्रतिक्रिया, ICT को बताया फर्जी अदालत

डिजिटल डेस्क- बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT) द्वारा सुनाई गई मौत की सजा पर अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए फैसले को “पक्षपातपूर्ण, अलोकतांत्रिक और राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित” बताया है। हसीना ने कहा कि यह फैसला एक ऐसी अंतरिम सरकार की देन है, जिसका न कोई जनादेश है और न ही जनता का भरोसा। उन्होंने आरोप लगाया कि डॉ. मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार जानबूझकर अवामी लीग को कमजोर करने और उन्हें राजनीतिक रूप से समाप्त करने की साजिश रच रही है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके खिलाफ मौत की सजा की सिफारिश से स्पष्ट है कि अंतरिम सरकार में सक्रिय चरमपंथी तत्व देश की अंतिम निर्वाचित प्रधानमंत्री को खत्म करना चाहते हैं। हसीना के मुताबिक, यह मुकदमा न्याय के लिए नहीं बल्कि सत्ता में बैठे लोगों की विफलताओं से जनता का ध्यान हटाने के लिए रचा गया राजनीतिक ड्रामा है। उन्होंने दावा किया कि बांग्लादेश में लाखों लोग सरकार की हिंसक और अव्यवस्थित कार्यशैली से परेशान हैं और इस तरह के “नाटकीय फैसलों” से भ्रमित नहीं होंगे।

ICT के ट्रायल का उद्देश्य अवामी लीग को बलि का बकरा बनाना- शेख हसीना

अपनी प्रतिक्रिया में हसीना ने कहा कि ICT के ट्रायल का उद्देश्य जुलाई–अगस्त 2025 की घटनाओं की सच्चाई सामने लाना नहीं था, बल्कि अवामी लीग को बलि का बकरा बनाना था। उन्होंने आरोप लगाया कि अंतरिम सरकार की अक्षमता और गलत नीतियों ने देश को अराजकता की स्थिति में पहुंचा दिया है, और अब इसी का ठीकरा विपक्ष पर फोड़ा जा रहा है। हसीना ने अंतरिम सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “मोहम्मद यूनुस के शासन में सार्वजनिक सेवाएं चरमरा गई हैं। देश अपराधियों के हवाले होता जा रहा है, पुलिस का असर खत्म हो चुका है और न्याय प्रणाली की निष्पक्षता को भारी नुकसान पहुंचा है।” उन्होंने यह भी दावा किया कि अवामी लीग समर्थकों पर लगातार हमले हो रहे हैं और प्रशासन इन हमलों की अनदेखी कर रहा है।

लगाया धर्मनिरपेक्ष को कमजोर करने का आरोप

उन्होंने आगे कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यकों विशेषकर हिंदू समुदाय पर हमले बढ़ गए हैं और महिलाओं के अधिकारों का खुला उल्लंघन हो रहा है। हसीना ने प्रशासन के भीतर मौजूद इस्लामी चरमपंथियों, जिनमें हिज़्ब-उत-तहरीर से जुड़े लोग भी शामिल बताए जाते हैं, पर धर्मनिरपेक्ष परंपरा को कमजोर करने का आरोप लगाया।