डिजिटल डेस्क- पड़ोसी देश बांग्लादेश इन दिनों गंभीर राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। अगस्त 2024 में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से हालात लगातार बिगड़ते चले गए हैं। हालिया दिनों में छात्र नेता उस्मान हादी की हत्या और एक हिंदू युवक की लिंचिंग ने हालात को और विस्फोटक बना दिया है। इसी पृष्ठभूमि में रविवार को ढाका यूनिवर्सिटी के छात्र संगठन जाटियो छत्र दल (JCD) ने देशभर में विरोध मार्च निकालकर भीड़ हिंसा और हत्याओं के खिलाफ न्याय की मांग की। ढाका यूनिवर्सिटी परिसर के टीचर-स्टूडेंट सेंटर से शुरू हुआ यह विरोध मार्च राजधानी समेत कई शहरों में देखा गया। प्रदर्शनकारी छात्रों ने कहा कि धर्म को ढाल बनाकर भीड़ को भड़काने की कोशिशें अब बांग्लादेश की संप्रभुता और सामाजिक ताने-बाने के लिए गंभीर खतरा बन चुकी हैं। छात्रों ने सरकार से तुरंत हस्तक्षेप कर कानून-व्यवस्था बहाल करने की मांग की।
जेसीडी प्रमुख राकिब ने दी चेतावनी
जेसीडी प्रमुख राकिब ने प्रदर्शन के दौरान कहा कि पांच अगस्त के बाद से एक खास समूह सुनियोजित तरीके से धर्म का दुरुपयोग कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि ‘बॉट आर्मी’ और सोशल मीडिया नेटवर्क के जरिए भीड़ को हिंसा के लिए उकसाया जा रहा है। राकिब ने चेतावनी दी कि जेसीडी ऐसे तत्वों का डटकर मुकाबला करेगी, जो विदेशों से बैठकर नफरत और झूठी सूचनाएं फैलाकर देश को अराजकता की ओर धकेल रहे हैं। छात्र संगठन ने हालिया घटनाओं की निष्पक्ष और गहन जांच की मांग करते हुए दोषियों को सख्त सजा देने की अपील की। प्रदर्शन खासतौर पर दो दर्दनाक घटनाओं के विरोध में था।
सहयोगियों ने दिया यूनुस सरकार को अल्टीमेटम
पहली घटना 18 दिसंबर को मयमनसिंह के भालुका इलाके में हुई, जहां मजदूर दीपू चंद्र दास को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला। दूसरी घटना 19 दिसंबर को लक्ष्मीपुर की है, जहां बीएनपी नेता बेलाल हुसैन के घर में आगजनी के दौरान उनकी सात वर्षीय बेटी आइशा की मौत हो गई। इससे पहले इंकलाब मंच से जुड़े छात्र नेता उस्मान हादी की हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया था। हादी शेख हसीना विरोधी आंदोलन के प्रमुख चेहरों में शामिल थे और अगले साल होने वाले आम चुनाव में ढाका से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में प्रचार कर रहे थे। उनके सहयोगी अब्दुल्ल अल जबेर ने यूनुस सरकार को अल्टीमेटम देते हुए हत्यारों की पहचान सार्वजनिक करने की मांग की है।