डिजिटल डेस्क- बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के लिए कानूनी और राजनीतिक संकट लगातार गहराता जा रहा है। बांग्लादेश की इंटरनेशनल कोर्ट (ICT-BD) ने सोमवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए हसीना को जुलाई विद्रोह के दौरान निहत्थे नागरिकों पर गोली चलवाने का दोषी करार दिया है। अदालत का यह फैसला उस समय आया है, जब देशभर में भारी हिंसा, विरोध प्रदर्शनों और सुरक्षा एजेंसियों की कड़ी कार्रवाई का माहौल बना हुआ है। बांग्लादेश की यूनुस सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले सरकारी वकील ने हसीना को फांसी की सजा देने की मांग की है। उनका कहना है कि हसीना के खिलाफ करीब 1400 गंभीर आरोप हैं, जिनमें से अधिकांश मानवता के खिलाफ अपराध से जुड़े हैं। वकील ने अदालत में कहा कि अगर उन्हें मौत की सजा नहीं दी गई, तो यह उन हजारों लोगों के साथ अन्याय होगा, जो उनकी नीतियों और निर्देशों के कारण मारे गए हैं।” यह बयान आने के बाद राजनीतिक तापमान और बढ़ गया है और अवामी लीग समर्थकों में बेचैनी देखी जा रही है।
कोर्ट ने वायरल ऑडियो को माना अहम सबूत
मामले में कोर्ट ने वह विवादित ऑडियो भी सबूत के रूप में पेश किया, जिसमें शेख हसीना उस समय के पुलिस प्रमुख को भीड़ पर गोली चलाने का आदेश देती सुनाई दे रही हैं। यह ऑडियो पिछले साल वायरल हुआ था और देशभर में भारी विरोध-प्रदर्शन का कारण बना था। बांग्लादेशी मीडिया प्रथम आलो के मुताबिक, अदालत ने इस ऑडियो को विश्वसनीय सबूत बताते हुए कहा कि इससे हसीना की सीधी भूमिका साफ होती है।
मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट का भी उल्लेख
फैसला सुनाते हुए न्यायाधीशों ने मानवाधिकार आयोग की उस रिपोर्ट का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि जुलाई विद्रोह के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा अत्यधिक बल प्रयोग किया गया और कई निर्दोष नागरिकों की मृत्यु हुई। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कई घटनाएं सरकारी आदेशों के तहत की गई थीं। इंटरनेशनल कोर्ट के फैसले के बाद शेख हसीना की कानूनी लड़ाई और कठिन हो गई है। अगर वह अगले 30 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण नहीं करतीं तो अदालत उन्हें फरार घोषित करके गिरफ्तारी का आदेश दे सकती है। दूसरी तरफ सरकार ने राजधानी ढाका में सेना और बीजीबी को तैनात कर दिया है, जबकि पुलिस को हिंसक प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने के आदेश दिए गए हैं।