भारत ने पेरिस पैरालंपिक में किया ऐतिहासिक प्रदर्शन, 8 मेडल के साथ 15वें स्थान पर

KNEWS DESK-  भारतीय खिलाड़ियों ने 2 सितंबर को पेरिस पैरालंपिक में शानदार प्रदर्शन कर इतिहास रच दिया। इस दिन भारत ने कुल 8 मेडल जीते, जिनमें 2 स्वर्ण, 3 रजत और 3 कांस्य पदक शामिल हैं। इस शानदार उपलब्धि के साथ ही भारत ने मेडल टैली में एक ही दिन में 15 स्थान की छलांग लगाई और 15वें स्थान पर आकर अपना रैंक सुधार लिया।

दिन की शुरुआत भारत के लिए पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी नितेश कुमार के स्वर्ण पदक जीतने से हुई। 29 वर्षीय नितेश ने एसएल-3 कैटेगरी में अपने शानदार खेल से ब्रिटेन के बेथेल को हराया। नितेश का यह मुकाबला एक घंटे और 20 मिनट चला, जिसमें उन्होंने 21-14, 18-21, 23-21 से जीत हासिल की। नितेश की यह जीत भारत के लिए दिन की पहली खुशी थी।

सुमित अंतिल ने दिलाया तीसरा गोल्ड

पेरिस में भारत का दूसरा स्वर्ण पदक 26 वर्षीय सुमित अंतिल ने जीता। एफ64 जेवलिन थ्रो में 70.59 मीटर के थ्रो के साथ सुमित ने नया पैरालंपिक रिकॉर्ड कायम किया। यह थ्रो उनके पिछले पैरालंपिक रिकॉर्ड 68.55 मीटर से बेहतर था। सुमित का विश्व रिकॉर्ड 73.29 मीटर का है, लेकिन उनका यह प्रदर्शन भी देश के लिए गर्व का क्षण रहा।

तीरंदाजी में ब्रॉन्ज मेडल

भारतीय तीरंदाजों शीतल देवी और राकेश कुमार ने मिक्स्ड टीम कंपाउंड ओपन इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीता। इटली के मातेओ बोनासिना और एलेओनोरा सारती को 156-155 से हराकर भारतीय जोड़ी ने यह पदक अपने नाम किया। शीतल देवी तीरंदाजी में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं, और उनके शॉट ने निर्णायक भूमिका निभाई।

रजत पदक की झड़ी

भारत के योगेश कथुनिया ने एफ56 डिस्कस थ्रो में 42.22 मीटर के थ्रो के साथ रजत पदक जीता। यह उनके इस सीजन का बेस्ट प्रदर्शन था। टोक्यो पैरालंपिक में भी उन्होंने इसी स्पर्धा में रजत पदक जीता था।

बैडमिंटन में 22 वर्षीय तुलसीमति मुरुगेसन को महिला सिंगल्स में चीन की गत चैंपियन यैंग कियू शिया के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा और उन्होंने सिल्वर मेडल जीता। दूसरी सीड मनीषा ने डेनमार्क की कैथरीन रोसेनग्रेन को हराकर कांस्य पदक जीता।

सुहास यथिराज का लगातार दूसरा सिल्वर

आईएएस अधिकारी एलवाई सुहास ने एसएल4 कैटेगरी में लगातार दूसरे पैरालंपिक में सिल्वर मेडल जीता। उन्हें फाइनल में फ्रांस के लुकास माजूर से हार का सामना करना पड़ा। टोक्यो पैरालंपिक में भी लुकास ने उन्हें हराया था। 2 सितंबर का दिन भारत के लिए एक ऐतिहासिक पल था, जिसने पेरिस पैरालंपिक में भारत की महान उपलब्धियों की श्रृंखला को जारी रखा। भारतीय खिलाड़ियों की इस शानदार सफलता ने उन्हें वैश्विक मंच पर एक नया सम्मान दिलाया है।

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