KNEWS DESK – सोमवती अमावस्या एक विशेष तिथि होती है, जो विशेष रूप से पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए जानी जाती है। यह दिन हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और इस दिन पिंडदान और तर्पण करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। साथ ही, पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और घर में पृत दोष का नाश होता है।
सोमवती अमावस्या कब है?
आपको बता दें कि सोमवती अमावस्या वह अमावस्या होती है, जो सोमवार के दिन पड़ती है। इस साल की आखिरी सोमवती अमावस्या 30 दिसंबर 2024 को पड़ रही है, जो सोमवार के दिन होगी। तिथि के अनुसार, यह अमावस्या तड़के 4:01 बजे शुरू होगी और 31 दिसंबर 2024 को तड़के 3:56 बजे समाप्त होगी। इस दिन खासतौर पर पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान का महत्व है, जो उनके मोक्ष के मार्ग को प्रशस्त करता है।
पितरों को मोक्ष कैसे मिलता है?
हिंदू धर्म में मान्यता है कि सोमवती अमावस्या पर पितरों का पिंडदान और तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे मोक्ष को प्राप्त करते हैं। पिंडदान करने वाले व्यक्ति को पृत दोष से मुक्ति मिलती है और घर में समृद्धि और खुशहाली आती है। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी होता है, जो अपने पितरों को श्रद्धा और सम्मान देने के साथ उनका तर्पण करना चाहते हैं।
पिंडदान करने के लाभ
- पितरों को मोक्ष मिलता है – इस दिन पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- पृत दोष से मुक्ति – पिंडदान करने से घर में उत्पन्न पृत दोष समाप्त हो जाता है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
- धन और वंशवृद्धि – पितरों का पिंडदान करने से धन और वंशवृद्धि की प्राप्ति होती है।
- आशीर्वाद मिलता है – पितरों का तर्पण करने से उनके आशीर्वाद से परिवार में खुशहाली आती है।
पिंडदान की विधि
सोमवती अमावस्या पर पिंडदान करने के लिए कुछ विशेष विधियाँ हैं, जिन्हें पालन करने से विशेष लाभ होता है:
- सुर्योदय के समय पिंडदान – पिंडदान का सबसे उत्तम समय सूर्योदय के समय होता है। इस समय पिंडदान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
- साफ वस्त्र पहनें – पिंडदान करने से पहले साफ वस्त्र पहनें और पवित्र वातावरण में पिंडदान करें।
- पितरों की तस्वीर रखें – पिंडदान करने के लिए पितरों की तस्वीर या स्मृति को स्थान पर रखें और उन्हें जल अर्पित करें।
- पिंड बनाने के सामग्री – पिंड बनाने के लिए गाय के गोबर, आटे, तिल और जौ का उपयोग करें। इन्हें मिलाकर पिंड बनाएं और फिर उन पिंडों को पितरों को अर्पित करें।
- नदी में प्रवाहित करें – पिंडदान के बाद पिंड को नदी में प्रवाहित करें, ताकि वह पितरों को शांति और मोक्ष प्रदान कर सके।
- पृत दोष से मुक्ति के लिए जाप – पृत दोष से मुक्ति के लिए पितरों के मंत्रों का जाप करें। साथ ही पृत चालीसा का पाठ करना चाहिए।
- ब्राह्मणों को दान करें – इस दिन ब्राह्मणों को दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है। दान देने से पितरों को आशीर्वाद मिलता है और परिवार में समृद्धि आती है।
सोमवती अमावस्या का दिन पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन पिंडदान और तर्पण करने से न केवल पितरों को शांति मिलती है, बल्कि परिवार में सुख-समृद्धि और आशीर्वाद का वास होता है।