KNEWS DESK- नाग पंचमी पर सांपों को दूध पिलाने की परंपरा भारत में सदियों से चली आ रही है। लोग इस दिन सांपों की पूजा करते हैं और उन्हें दूध अर्पित करते हैं, यह मानते हुए कि इससे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, क्योंकि शिव जी का गले में नागों का आभूषण है।
हालांकि, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह प्रथा उचित नहीं मानी जाती। सांप प्राकृतिक रूप से मांसाहारी होते हैं और उनका आहार चूहे, मेंढक, पक्षी, और छोटे जानवर होते हैं। वे दूध नहीं पीते हैं और उनके शरीर में दूध पचाने की क्षमता भी नहीं होती है। जब सांपों को दूध पिलाया जाता है, तो इससे उनकी सेहत पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है, जैसे कि पेट की समस्याएं और यहां तक कि उनकी मृत्यु भी हो सकती है।
इसके अलावा, यह भी देखा गया है कि नाग पंचमी के दौरान सांपों को पकड़कर बंद किया जाता है और उनकी प्राकृतिक स्वतंत्रता से वंचित किया जाता है। यह उनके लिए एक बहुत ही तनावपूर्ण स्थिति होती है, जिससे उनकी सेहत पर और भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
दुनिया में लगभग 3,600 से अधिक प्रजातियों के सांप पाए जाते हैं| मिट्टी, पानी या रेगिस्तान, सांप हर स्थिति में सांप पाए जाते हैं| साप का जहर बड़े से बड़े जानवर को भी मारने की ताकत रखता है| आंकड़ों को देखा जाए तो हिन्दुस्तान में ही स्नेक बाइट के हर साल 50 हजार के लगभग मामले सामने आते हैं| सापों से लोग डरते हैं लेकिन दूसरी तरफ उनकी पूजा भी की जाती है|
वैज्ञानिक का क्या कहना?
सर्प विशेषज्ञों का मानना है कि सांपों को दूध पिलाना एक गलत धारणा है| यह एक ऐसी परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है, लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है| सांपों को दूध पिलाने से न केवल सांपों को नुकसान पहुंचता है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है| वैज्ञानिक ज्ञान अर्जित करने की| इस बात को हर उस शख्स तक पहुंचाएं जो नाग को दूध पिलाने में यकीन रखता है ताकि कभी भी दूध पीने की वजह से किसी सांप की मृत्यु ना हो| वैज्ञानिक और पशु अधिकार कार्यकर्ता इस प्रथा के खिलाफ हैं और लोगों से अपील करते हैं कि वे सांपों को उनके प्राकृतिक आवास में सुरक्षित रहने दें और उन्हें दूध न पिलाएं। नाग पंचमी को सांपों के प्रति आदर और उनकी सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने के रूप में मनाना अधिक उचित होगा।