KNEWS DESK – हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को विशेष महत्व दिया जाता है, और जब यह व्रत शनिवार के दिन पड़ता है, तो इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव और शनिदेव की पूजा की जाती है। शनि प्रदोष व्रत के दिन किए गए पूजन से शनि के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस साल का आखिरी शनि प्रदोष व्रत 28 दिसंबर 2024 को है, और इस दिन पूजा के लिए खास शुभ मुहूर्त भी है।
क्यों खास है शनि प्रदोष व्रत
शनि प्रदोष व्रत का महत्व हिंदू धर्म शास्त्रों में बहुत अधिक बताया गया है। जब यह व्रत शनिवार को पड़ता है, तब इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ शनिदेव की भी पूजा की जाती है। शनिदेव को कर्मफलदाता और न्याय के देवता माना जाता है, और उनकी पूजा से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। खासकर, शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव को कम करने के लिए यह व्रत बहुत लाभकारी माना जाता है।
शनि प्रदोष व्रत में पूजा के दौरान शनिदेव से मनोकामनाओं की पूर्ति की जाती है, और यह व्रत व्यक्ति को बुरे कर्मों से मुक्ति दिलाता है। वहीं, भगवान शिव की उपासना से पुण्य की प्राप्ति होती है और सभी दुख समाप्त हो जाते हैं।
शनि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त (2024)
इस बार शनि प्रदोष व्रत 28 दिसंबर को पड़ रहा है। यह व्रत तड़के सुबह 2 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगा और 29 दिसंबर को सुबह 3 बजकर 32 मिनट तक चलेगा।
प्रदोष काल
प्रदोष काल का समय सूर्यास्त के बाद शुरू होता है और लगभग डेढ़ घंटे तक रहता है। यह समय विशेष रूप से पूजा और व्रत के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन, शिव पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 33 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। इस समय में पूजा करने से भगवान शिव और शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं।
भगवान शिव के साथ शनिदेव की पूजा करने से अनेक लाभ होते हैं:
- सभी पापों का नाश: यह व्रत व्यक्ति के सभी पापों को नष्ट कर देता है और उसकी सेहत और मानसिक शांति में सुधार लाता है।
- संतान सुख: यदि किसी परिवार में संतान की समस्या हो या बच्चों की सेहत सही न रहती हो, तो यह व्रत विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।
- आर्थिक स्थिति में सुधार: शनि प्रदोष व्रत से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है, और व्यापार में वृद्धि भी होती है।
- शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से राहत: इस दिन पूजन करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव से राहत मिलती है, जिससे व्यक्ति के जीवन में शुभ कार्य होते हैं।
शनि प्रदोष व्रत पर कीं चीजों का करें दान
प्रदोष व्रत के दिन कुछ विशेष दान भी किए जाते हैं, जिनसे जीवन में खुशहाली बनी रहती है। इस दिन दान में नीला रंग की चीजें, तिल, लोहा, सिंदूर, काले वस्त्र और शक्कर दान करने से विशेष लाभ होता है। दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और शनिदेव की कृपा भी मिलती है।
शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि
- स्नान और शुद्धता: व्रत शुरू करने से पहले भगवान शिव और शनिदेव की पूजा के लिए स्नान करके शरीर को शुद्ध करना जरूरी है।
- व्रत का संकल्प: व्रत के दौरान व्रति को शुद्ध मन और आत्मा से संकल्प लेकर पूजा करनी चाहिए।
- भगवान शिव की पूजा: शिवलिंग का जल से अभिषेक करें, फिर उन पर ताजे फूल चढ़ाएं और शिव चालीसा या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
- शनि देव की पूजा: शनिदेव को तिल, तेल, और काले पदार्थ चढ़ाएं, और उनके मंत्र का जाप करें।
- प्रदोष काल की पूजा: सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में विशेष रूप से पूजा का समय होता है, इस समय में शिव और शनि का ध्यान और पूजा करना अत्यधिक शुभ रहता है।
शनि प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है, और यह व्यक्ति को शांति, समृद्धि और सफलता की ओर अग्रसर करता है। यदि आप भी इस शनि प्रदोष व्रत को सही विधि से करते हैं, तो यह न सिर्फ आपके जीवन के कष्टों को दूर करता है, बल्कि आपके घर में सुख-शांति भी बनाए रखता है।