KNEWS DESK, गीता जयंती एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है, जो हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दी गई उपदेशों की याद में मनाया जाता है, जो महाभारत के युद्ध भूमि पर हुआ था। इस दिन को लेकर यह मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद गीता का ज्ञान दिया, जिससे अर्जुन का मनोबल बढ़ा और उसे सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिली। गीता जयंती के दिन भगवान श्री कृष्ण और वेदव्यास जी की पूजा की जाती है। साथ ही भगवत गीता का पाठ करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है और उसका जीवन सुख-शांति से परिपूर्ण होता है।
गीता जयंती का शुभ मुहूर्त
इस साल गीता जयंती 11 दिसंबर 2024 को मनाई जाएगी, जो कि मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ती है। एकादशी तिथि की शुरुआत 11 दिसंबर को सुबह 3 बजकर 42 मिनट से हुई और तिथि का समापन 12 दिसंबर को रात 1 बजकर 9 मिनट पर होगा। इस दिन को मोक्षदी एकादशी भी कहा जाता है, जो विशेष रूप से उपवास और पूजा के लिए उपयुक्त है। वहीं अमृत काल जो गीता जयंती पर पूजा के लिए सर्वोत्तम समय माना जाता है, 11 दिसंबर को सुबह 9 बजकर 34 मिनट से लेकर 11 बजकर 3 मिनट तक रहेगा। इस दौरान भगवान श्री कृष्ण की पूजा करना और भगवत गीता का पाठ करना अत्यंत फलदायी होता है।
गीता जयंती पूजा विधि
गीता जयंती के दिन विशेष पूजा विधि का पालन करना चाहिए। जैसे सबसे पहले दिन की शुरुआत पवित्र स्नान से करें। इसके बाद पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। फिर मंदिर की सफाई करें और भगवान सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। यह पूजा के लिए महत्वपूर्ण है और पुण्यकारी होती है। वहीं पूजा के दौरान श्रीमद्भगवद गीता का पाठ करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। गीता के श्लोकों का उच्चारण करने से व्यक्ति के मन की शांति बढ़ती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसके अलावा गीता के ग्रंथ को अक्षत और फूलों से पूजें। बाद भगवद गीता का पाठ आरंभ करें और इस दिन गीता ग्रंथ का दान करना भी अत्यधिक शुभ होता है, जिससे भगवान श्री कृष्ण प्रसन्न होते हैं।
गीता जयंती पर श्लोक का पाठ
गीता जयंती के दिन कुछ प्रमुख श्लोकों का पाठ करना विशेष रूप से लाभकारी होता है। निम्नलिखित श्लोकों का पाठ करें:
- कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
- ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते। सङ्गात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥
गीता जयंती का आध्यात्मिक महत्व
भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध भूमि पर अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, जो आज भी हमारे जीवन में मार्गदर्शन प्रदान करता है। गीता के 18 अध्याय और 700 श्लोकों में जीवन के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। गीता जयंती के दिन इन श्लोकों का पाठ करने से व्यक्ति का आत्मिक कल्याण होता है और उसका जीवन निरंतर सुखमय होता है। वहीं गीता जयंती पर भगवान श्री कृष्ण की पूजा और गीता के श्लोकों का पाठ करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है और व्यक्ति का मन पवित्र बनता है। इस दिन उपवास रखने और गीता का दान करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति का वास होता है। साथ ही, यह भी माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।