KNEWS DESK, गणेश चतुर्थी का पर्व हिंदू धर्म में बहुत विशेष महत्व रखता है। इस बार गणेश चतुर्थी 7 सितंबर यानी कल से शुरू हो चुकी है और यह 17 सितंबर को गणेश विसर्जन के साथ समाप्त होगी। इस 10 दिवसीय उत्सव के दौरान, भक्त गणेश जी के दर्शन और पूजन के लिए मंदिरों और पंडालों में बड़ी संख्या में जाते हैं। लेकिन दर्शन और पूजा के साथ-साथ एक और महत्वपूर्ण बात है, जो अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं—वह है गणेश जी की परिक्रमा।
परिक्रमा का महत्व
सनातन धर्म में परिक्रमा का विशेष महत्व है। परिक्रमा का मतलब है कि भक्त भगवान के मंदिर के चारों ओर घूमकर उनका सम्मान और पूजा करते हैं। यह धार्मिक मान्यता है कि परिक्रमा करने से भक्त को विशेष लाभ और पुण्य मिलता है। गणेश चतुर्थी के अवसर पर गणेश जी की परिक्रमा भी उतनी ही महत्वपूर्ण मानी जाती है।
गणेश जी की कितनी परिक्रमा करें?
गणेश जी की परिक्रमा की संख्या पर शास्त्रों में अलग-अलग विचार हैं
- “बह्वच परिशिष्ट” के अनुसार, गणेश जी की एक बार परिक्रमा करनी चाहिए। इस ग्रंथ में उल्लेखित है-‘एकां विनायके कुर्यात्’ इसका अर्थ है कि भगवान विनायक की एक बार परिक्रमा करनी चाहिए।
- “ग्रन्थान्तर” के अनुसार, तीन परिक्रमा करने का विकल्प भी स्वीकार्य है-‘तिस्त्रः कार्या विनायके’ इसका मतलब है कि भगवान विनायक की तीन बार परिक्रमा करनी चाहिए।
- नारदपुराण के अनुसार, गणेश जी की तीन बार परिक्रमा करने का वर्णन है-’तिस्रो विनायकस्यापि’ इसका अर्थ है कि भगवान विनायक की तीन बार परिक्रमा करनी चाहिए।
बता दें कि विभिन्न शास्त्रों और ग्रंथों के अनुसार गणेश जी की तीन बार परिक्रमा करने की सलाह दी गई है। हालांकि, यदि समय की कमी या अन्य कारणों से तीन परिक्रमा संभव न हो, तो एक बार परिक्रमा भी लाभकारी मानी जाती है। इस गणेश चतुर्थी पर, अपने पूजा और दर्शन को पूर्ण करने के साथ-साथ, गणेश जी की परिक्रमा करना न भूलें। यह न केवल आपके धार्मिक कर्तव्यों को पूरा करेगा बल्कि आपके जीवन में समृद्धि और सुख-शांति भी लाएगा।