पितृपक्ष के दौरान कुछ विशिष्ट उपायों को अपनाकर करें पितरों का आशीर्वाद प्राप्त, बनेंगे बिगड़े हुए काम

KNEWS DESK, पितृपक्ष 2024 का समय आ चुका है, जो 2 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या के साथ समाप्त होगा। इस दौरान, पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने और उनकी आत्मा की शांति के लिए वास्तु शास्त्र में कुछ विशेष उपाय बताए गए हैं। इन उपायों को अपनाकर आप न केवल अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि अपने बिगड़े हुए काम भी संवार सकते हैं। आइए जानते हैं क्या हैं ये उपाय-

Shradh Paksha: When You Are Not Able To Do Shradh During Pitru Paksha, Then  Do All These Measures To Celebrate - Shradh Paksha : पितृपक्ष में जब न कर  पाएं श्राद्ध तो

1. दक्षिण-पश्चिम कोने में दीया जलाना

वास्तु के अनुसार, घर का दक्षिण-पश्चिम कोना पितरों का स्थान माना जाता है। इस दिशा में दीया जलाने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। यह उपाय पूरे पितृपक्ष के दौरान हर शाम करना चाहिए। इससे न केवल पितरों की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि ग्रह दोष भी कम होते हैं, जिससे बिगड़े काम भी बन सकते हैं।

2. पौधरोपण का महत्व

पितृपक्ष में नीम और बेल के पौधों को दक्षिण-पश्चिम दिशा में लगाने से पितर प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा, तुलसी का पौधा भी लगाने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। यह उपाय आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और आपके परिवार पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है।

3. तस्वीरों पर फूलों की माला अर्पित करना

पितृपक्ष के दौरान माता-पिता और पूर्वजों की तस्वीरें घर में स्थापित की जाती हैं। इन तस्वीरों को दक्षिणी दीवार पर रखना श्रेष्ठ होता है। यदि तस्वीर किसी पुरुष की है, तो उस पर सफेद लकड़ी के फूलों की माला चढ़ाएं; और यदि महिला की तस्वीर है, तो लाल लकड़ी के फूलों की माला अर्पित करें। यह परंपरा पितरों की आत्मा को सम्मान देती है और उन्हें प्रसन्न करने का एक प्रभावी उपाय है।

बता दें कि इन तीन सरल वास्तु उपायों को अपनाकर आप न केवल अपने पितरों की आत्मा को शांति प्रदान कर सकते हैं, बल्कि अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि भी बढ़ा सकते हैं। पितृपक्ष का यह समय अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का अनूठा अवसर होता है।

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