चैत्र नवरात्रि 02 अप्रैल, शनिवार से शुरुआत हो गई है। नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा- अर्चना की जाती है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा का विधान है। भक्त नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपवास भी रखते हैं। मान्यता है कि नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा की विधिवत पूजा करने से भक्तों की मनोकामना पूरी होती है।
नवरात्रि में कलश स्थापना के नियम
नवरात्रि में जीवन के समस्त भागों और समस्याओं पर नियंत्रण किया जा सकता है. नवरात्रि के दौरान हल्का और सात्विक भोजन करना चाहिए. नियमित खान-पान में जौ और जल का प्रयोग जरूर करें. इन दिनों तेल, मसाला और अनाज कम से कम खाना चाहिए. कलश की स्थापना करते समय जल में सिक्का डालें. कलश पर नारियल रखें और कलश पर मिट्टी लगाकर जौ बोएं. कलश के निकट अखंड दीपक जरूर प्रज्ज्वलित करें .
मां शैलपुत्री की ऐसे करें पूजा
नवरात्रि के प्रथम दिन मां दुर्गा के प्रथम रूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। हिमालय की पुत्री होने के कारण मां को शैलपुत्री नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां शैलपुत्री की पूजा करने से अच्छा स्वास्थ्य और मान- सम्मान मिलता है। मां शैलपुत्री की पूजा करने से उत्तम वर की प्राप्ति भी होती है। मां शैलपुत्री को सफेद वस्त्र अतिप्रिय होते हैं। इस दिन मां को सफेद वस्त्र या सफेद फूल अर्पित करें। मां को सफेद बर्फी का भोग लगाएं।
शुभ मुहूर्त-
कलश की स्थापना चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को की जाती है. इस बार प्रतिपदा तिथि 02 अप्रैल को है, लेकिन प्रतिपदा प्रातः 11 बजकर 21 मिनट तक ही है. इसलिए कलश की स्थापना सुबह 11.21 के पहले ही की जाएगी. सबसे अच्छा समय सुबह 07 बजकर 30 मिनट से 09 बजे तक का होगा.
मां शैलपुत्री मंत्र-
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:।
मां शैलपुत्री भोग-
मां दुर्गा के शैलपुत्री रूप को गाय के घी और दूध से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से मां शैलपुत्री प्रसन्न होती हैं।
नवरात्रि के पहले दिन का शुभ रंग-
नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री की अराधना का दिन होता है। मां शैलपुत्री का पसंदीदा रंग लाल है।