भव्य दिव्य अद्भुत अकल्पनीय हुए महाकाल
न भूतो न भविष्यति आभा के साथ उज्जैन में नमो नमः
हिंदुत्व का एक और सपना साकार
महाकाल मंदिरऔर भी हुआ विशाल
महाकाल लोक देखकर भक्त होंगे निहाल
भव्य द्वार और 108 स्तम्भ के साथ आलोकिक लोक ‘महाकाल’ कॉरिडोर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को उज्जैन में महाकाल कॉरिडोर ‘महाकाल लोक’ का उद्घाटन किया और जैसे ही जय श्री महाकाल का जयकार लगाते हुए पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत की। इसी के साथ उज्जैन में नमो नमः गूंज उठा और हिंदुत्व का एक और सपना साकार हो गया .पीएम मोदी ने पिछले साल काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन किया था, महाकाल लोक कॉरिडोर उससे भी विशाल और भव्य है. महाकाल लोक कॉरिडोर 900 मीटर लंबा है. अभी पीएम मोदी ने महाकाल लोक कॉरिडोर के पहले फेज का उद्घाटन किया है, जिसकी लागत 350 करोड़ रुपये है. दूसरे फेज की लागत 450 करोड़ रुपये होगी. पीएम ने कहा कि उज्जैन की यह ऊर्जा, यह उत्साह, यह आभा, आनंद, महाकाल की महिमा से महाकाल लोक में साधारण कुछ भी नहीं। सबकुछ अलौकिक और असाधारण है। आज आनंद का अवसर महाकाल की वजह से मिला है। महाकाल लोक में लौकिक कुछ भी नहीं। आने वाली कई पीढ़ियों को यहाँअलौकिक दिव्यता का दर्शन होगा। ‘महाकाल लोक’ भारत की सांस्कृतिक चेतना का दर्शन कराएगा ।
पीएम ने कहा कि उज्जैन के पल-पल में कण-कण में इतिहास सिमटा है और आध्यात्म समाया है। कोने-कोने में इश्वरीय ऊर्जा संचारित हो रही है। महाकाल की नगरी प्रलय प्रहार से भी मुक्त है। पीएम ने कहा कि यहां काल की रेखाएं महाकाल मिटा देते हैं। पीएम ने कहा कि यहां भगवान श्रीकृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की थी। पीएम ने कहा कि शिवराज सरकार समर्पण के साथ सेवा में लगी रही। उज्जैन ने महाराजा विक्रमादित्य का प्रताप देखा है। यहां 24 देवियां हैं। 88 तीर्थ हैं। पीएम ने कहा कि उज्जैन के कण-कण में इतिहास है।
महाकाल लोक में भगवान शिव की लीलाओं पर आधारित 190 मूर्तियों का स्थापित किया गया है। इसके अलावा 108 स्तंभ स्थापित हैं। वहीं 18 फीट की आठ बड़ी मूर्तियों को भी इस परिसर में लगाया गया है। इसमें नटराज, शिव पुत्र गणेश, कार्तिकेय, दत्तात्रेय अवतार, पंचमुखी हनुमान, चंद्रशेखर महादेव की कहानी, शिव और सती समेत समुद्र मंथन दृश्य को शामिल किया गया है। महाकाल लोक में 15 फीट ऊंची 23 प्रतिमाएं लगाई गई हैं। इसमें शिवनृत्य, 11 रूद्र, महेश्वर अवतार, अघोर अवतार, काल भैरव, शरभ अवतार, खंडोबा अवतार, वीरभद्र द्वारा दक्ष वध, शिव बारात, मणिभद्र, गणेश और कार्तिकेय के साथ पार्वती, सूर्य कपाल मोचक शिव शामिल हैं।
महाकाल लोक फेज-1 के उद्घाटन के बाद यहां भव्य नजारा नजर आया है। बताया जा रहा है कि अब यहां आने वाले सैलानियों को मंदिर की भव्यता का एक अलग ही आनंद मिलेगा। सैलानियों को यहां विश्व स्तरीय सुविधा मिलेगी। कॉरिडोर में शिव तांडव स्त्रोत, शिव विवाह, महाकालेश्वर वाटिका, महाकालेश्वर मार्ग, शिव अवतार वाटिका, प्रवचन हॉल, नूतन स्कूल परिसर, गणेश विद्यालय परिसर, रूद्रसागर तट विकास, अर्ध पथ क्षेत्र, धर्मशाला और पार्किंग सर्विसेस भी तैयार किया जा रहा है। ऐसे में दर्शालुओं को दर्शन करने और कॉरिडोर घूमने के दौरान भव्य अनुभव होने वाला है।
महाकाल दरबार का इतिहास क्या कहता है
इतिहास पलटकर देखें तो पता चलता है कि महाकाल मंदिर पर कई बार आक्रमण हुआ. 1234 में दिल्ली के शासक शम्स-उद-दीन इल्तुतमिश ने मंदिर पर आक्रमण कर दिया था. कहा जाता है कि तब धार के राजा देपालदेव हमला रोकने के लिए निकले थे, लेकिन जब तक वो पहुंच पाते तब तक इल्तुतमिश ने मंदिर को तोड़ दिया था. इसके बाद देपालदेव ने मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था.इल्तुतमिश ने जब महाकाल मंदिर पर हमला कर उसे नष्ट किया, तब वहां के पुजारियों ने ज्योतर्लिंग को कुंए में छिपा दिया था. करीब 550 साल तक ज्योतिर्लिंग इस कुंए में ही था
उज्जैन पर सैकड़ों सालों तक मुस्लिम शासकों का ही शासन रहा. बाद में मराठा राजाओं ने मालवा पर आक्रमण कर अपना आधिपत्य स्थापित किया. मराठा शूरवीर कहा जाता है कि राणोजी सिंधिया जब बंगाल विजय के लिए निकले थे, तब रास्ते में उज्जैन में महाकाल मंदिर की दुर्दशा देख उनका खून खौल गया था. उन्होंने आदेश दिया कि जब तक वो बंगाल से लौटें, तब तक महाकाल मंदिर बन जाना चाहिए.
माना जाता है कि महाकाल मंदिर द्वापर युग से पहले बनाया गया था. जब भगवान श्रीकृष्ण शिक्षा लेने के लिए उज्जैन आए थे, तब उन्होंने महाकाल स्त्रोत का गान किया था. तुलसीदास ने भी महाकाल मंदिर का उल्लेख किया है.
पुराणों में बताए गए 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है. बाकी सभी ज्योतिर्लिंग पूर्वमुखी है. महाकाल के अलावा गुजरात में सोमनाथ और नागेश्वर, आंध्र प्रदेश में मल्लिकार्जुन, मध्य प्रदेश में ओमकारेश्वर, उत्तराखंड में केदारनाथ, महाराष्ट्र में भीमाशंकर, त्रयम्बकेश्वर और गृश्नेश्वर, वाराणसी में विश्वनाथ, झारखंड में बैद्यनाथ और तमिलनाडु में रामेश्वर ज्योतिर्लिंग है.
कई काव्य कथाओं में भी महाकाल मंदिर का उल्लेख मिलता है. चौथी शताब्दी में लिखे गए मेघदूतम के पहले भाग में भी महाकाल का उल्लेख है. कालिदास ने भी महाकाल मंदिर के बारे में बताया है. उज्जैन भी शिक्षा का बड़ा केंद्र रहा है. प्राचीन समय में इसे अवंतिका कहा जाता था.