नाग पंचमी ; शिव के छोड़े गए नागों के आज भी होते है दर्शन !

देशभर में आज नागपंचमी की धूम मची है नागों की पूजा से लेकर दूध -दही व शिव जी की पूजा अर्चना से मंदिरों में भक्तों का सैलाब उमडा है नागों को लेकर कई कथाएं पूरे भारतवर्ष में प्रचलित है इसी श्रृंखला में बात करते है मध्य -प्रदेश के प्रसिद्ध नाग देवता को समर्पित मंदिरों की जहां के पीछे की कथाएं सुनकर दूर- दूर से श्रद्धालु अपनी मनोकामनाए लेकर आते है

पंचमुखी नाग देवता ;
इंदोर मे स्तिथ है भारत का प्राचीन पंचमुखी नाग मंदिर इसकी स्थापना की स्पष्ट जानकारी प्राप्त नहीं होती मंदिर के अंदर नागदेवता की पाँच फनों वाली तीन फूट ऊंची काले रंग की दिव्य प्रतिमा स्थापित है मान्यताओ के अनुसार मंदिर मे उल्टा स्वस्तिक बनाने से लोगों के बिगड़े हुए कार्य पूरे होते है नागपंचमी पर श्रद्धालु यहा दूर -दराज से दर्शन करने पहुचते है नागमंदिर को लेकर एक प्राचीन कथा प्रचलित है कहा जाता है की एक महिला की कोख से जब एक बच्चा व एक नाग निकला तो जन्म देने वाली माँ डर गई व नाग को वही छोड़ अपने बच्चे को लेकर चली गई नाग अपनी माँ उसी महिला को मान चुका था व अपनी माँ का व्यवहार देख नाग उसी जगह पत्थर मे बदल गया वही कुछ लोगों का मानना है नागिन के मरने के बाद दुखी होकर नाग पत्थर मे बदल गया

नागलवाड़ी का भिलटदेव मंदिर ;
बड़वानी जिले मे नागदेवता की पूजा भिलटदेव के रूप मे की जाती है माना जाता है की रेलण राणा और मैदाबाई की कोई संतान न होने के कारण उन्होंने शिव जी की अरधना की प्रशनन होकर शिव जी ने उन्हे पुत्र का वरदान दिया कुछ समय बाद जब शिवजी व पार्वती माँ रूप बदलकर उनके घर दान लेने पहुचे तो उन्हे वापिस भेज दिया गया क्रोधित होकर शिवजी ने शिशु को उठाया लिया और नाग को पालने मे छोड़ दिया और नाग को पुत्र के रूप मे पालने का आदेश दिया तबसे ये मंदिर नागदेवता भिलटदेव के नाम से जाना जाता है यहा अक्सर दंपति संतान पाने की आस से आता है

उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर ;
उज्जैन जिले का प्रसिद्ध नागचंद्रेश्वर मंदिर जिसके कपाट साल भर में केवल  24 घंटे यानि सिर्फ नाग पंचमी के दिन खोले जाते है  कहा जाता है मंदिर की प्रतिमा नेपाल से लाई गई थी और पूरे देश मे शिवजी  की ऐसी प्रतिमा कही भी नहीं है प्रतिमा में शिव शेषनाग से बने सिंहासन पर माता पार्वती ,कार्तिकेय ,व गणेश के साथ विराजमान है ये इकलौती ऐसी प्रतिमा है जिसमे शेषनाग के सिंहासन पर भगवान विष्णु की जगह शिवजी  विराजमान है मंदिर में स्वयं नागराज तक्षक के निवास की भी बात की जाती है

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