ये कैसी मनमानी,वन नेशन वन इलेक्शन बेईमानी !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, देश के साथ ही उत्तराखंड राज्य में भाजपा वन नेशन वन इलेक्शन के मुद्दे को घर-घर तक पहुंचा रही है। इसके साथ ही मोदी सरकार के ऐतिहासिक कार्यों को बताकर लोगों को पार्टी का सदस्य बना रही है। बता दें कि देश के साथ ही उत्तराखंड राज्य में भाजपा का सदस्यता अभियान गतिमान है। उत्तराखंड में भाजपा ने 7 लाख से ज्यादा नए सदस्य बनाने का दावा किया है। वहीं इस अभियान के तहत बीजेपी ने 20 लाख से अधिक नए सदस्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है…भाजपा का दावा है कि केंद्र और राज्य सरकार के ऐतिहासिक कार्यों की बदौलत भाजपा के साथ ही बड़ी संख्या में लोग जुड रहे हैं। वहीं विपक्ष की ओर से भाजपा के सदस्यता अभियान पर तंज कसा जा रहा है साथ ही भाजपा के वन नेशन वन इलेक्शन के दावे को भी हवा हवाई बताया जा रहा है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा का ये सिर्फ एक पॉलिटिकल एजेंडा है। जिससे चुनावी लाभ लिया जा सके…..कांग्रेस का तर्क है कि भाजपा छोटे से राज्य उत्तराखंड में पिछले एक साल से निकाय चुनाव नहीं करा पाई है। बार बार प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ा रही है. इसके अलावा केदारनाथ का उपचुनाव सरकार समय पर नहीं करा रही है। ऐसे में वन नेशन वन इलेक्श्न की बात बेईमानी है। बता दें कि मोदी कैबिनेट ने हाल ही में वन नेशन-वन इलेक्शन पर कोविंद पैनल की सिफारिशों को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही एक साथ चुनाव कराने की इच्छा, व्यवहारिकता और कैसे लागू होगा इस पर नई बहस छिड़ गई है। वहीं उत्तराखंड में निकाय और उपचुनाव अबतक ना कराए जाने पर विपक्ष ने भाजपा के दावों पर सवाल खड़े कर दिये हैं।

देश के साथ ही उत्तराखंड राज्य में वन नेशन वन इलेक्शन के मुद्दे पर नई बहस छिड़ गई है। भाजपा का दावा है कि वन नेशन वन इलेक्शन से हजारों करोड़ रुपए बचेंगे, समय की बचत होगी वहीं चुनाव की वजह से बार बार लगने वाली आदर्श आचार संहिता से भी बचा जा सकता है.. जिससे विकास प्रभावित होता है। वहीं देवभूमि उत्तराखंड में भाजपा के तमाम कार्यकर्ता और पदाधिकारी वन नेशन वन इलेक्शन के फायदे घर-घर तक पहुंचा रहे हैं। साथ ही लोगों को पार्टी से जोड़ने का कार्य कर रहे हैं। बता दें कि देश के साथ ही उत्तराखंड में भाजपा सदस्यता अभियान चला रही है। वहीं कांग्रेस का कहना है कि भाजपा के नेताओं को काफी मेहनत के बाद भी सदस्य नहीं मिल रहे हैं। इसके साथ ही कांग्रेस ने वन नेशन वन इलेक्शन को अव्यवहारिक बताया है। कांग्रेस का कहना है कि सरकार का यह सिर्फ एक पॉलिटिकल एजेंडा है….उत्तराखंड में सरकार निकाय और केदारनाथ उपचुनाव को समय पर नहीं करा पा रही है और वन नेशन वन इलेक्शन की बात की जा रही है

आपको बता दें कि प्रदेश के सौ नगर निकायों का पांच वर्ष का कार्यकाल पिछले साल दो दिसंबर 2023 को खत्म होने के बाद इन्हें प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था। इसके बाद धामी सरकार ने जून 2024 में तीन माह के लिए प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ा दिया था। जिसके बाद प्रशासकों का यह कार्यकाल सितंबर माह में पूरा हो रहा था. लेकिन सरकार ने अगस्त माह में एक बार फिर तीन माह के लिए प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ा दिया है। इस बीच नगर निकाय संशोधन विधेयक को लेकर गठित प्रवर समिति की बैठक आयोजित की गई. बैठक में ओबीसी आरक्षण के लिए सर्वे मानकों पर चर्चा हुई। शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि समिति की बैठक के दौरान ओबीसी सर्वे को लेकर चर्चा हुई और अगली बैठक अब चार अक्तूबर को बुलाई गई है। वहीं कांग्रेस का आरोप है कि सरकार बैठक पे बैठक कर इसे आगे बढ़ा रही है। जिससे चुनाव से बचा जा सके

कुल मिलाकर एक ओर जहां देश में एक देश एक चुनाव को भाजपा बड़े परिवर्तन के रूप में बता रही है..तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस इसे अव्यवहारिक और भाजपा का पालिटिकल एजेंडा बता रही है। सवाल ये है कि क्या उत्तराखंड में निकाय चुनाव समय पर ना कराकर भाजपा ने विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा दे दिया है। आखिर क्यों  केदारनाथ उपचुनाव की घोषणा उत्तरप्रदेश की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के साथ नहीं की गई। देखना होगा वन नेशन वन इलेक्शन पर सरकार आगे क्या कदम उठाती है

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