KNEWS DESK- उत्तराखंड में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड में जल्द ही अपने सांगठनिक ढांचे में फेरबदल कर सकती है। इसके तहत प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम समेत कई पदाधिकारियों की जिम्मेदारियों में बदलाव किए जा सकते हैं। मौजूदा बीजेपी के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम को जहां किसी बड़े राज्य या कोई महत्वपूर्ण दायित्व सौंपे जाने की चर्चा है तो वहीं, उत्तराखंड के कुछ नेताओं को भी राष्ट्रीय नेतृत्व में जगह मिलने की संभावना जताई जा रही है। आपको बता दें कि भाजपा हाईकमान ने सात जुलाई से महाजनसंपर्क अभियान की समीक्षा के लिए दिल्ली में अहम बैठक बुलाई है। इस बैठक में केंद्रीय नेतृत्व की ओर से कुछ पदाधिकारियों और प्रदेश प्रभारियों के बदले जाने की चर्चाएं चल रही हैं। इस क्रम में उत्तराखंड प्रभारी गौतम को भी बदला जा सकता है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दिल्ली में मौजूद है। माना जा रहा है कि धामी मंत्रिमंडल का भी विस्तार किया जा सकता है। वहीं भाजपा में हो रहे इस बदलाव को कांग्रेस ने भाजपा की घबराहट बताया है। कांग्रेस का कहना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के इंटरनल सर्वे में पार्टी की स्थिति खराब बताई जा रही है। इसको देखते हुए भाजपा ऐसी कवायद में जुट गई है।
आपको बता दें कि धामी सरकार गठन के बाद से ही धामी मंत्रिमंडल में तीन पद खाली चल रहे थे। कैबिनेट मंत्री चंदन रामदास का असामयिक निधन हो जाने से खाली पदों की संख्या बढ़कर चार हो गई। इन चार पदों के लिए कई नाम तैर रहे हैं। वहीं भाजपा में हो रहे इस बदलाव को कांग्रेस ने भाजपा की घबराहट बताया है। कांग्रेस का कहना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के इंटरनल सर्वे में पार्टी की स्थिति खराब बताई जा रही है। इसको देखते हुए भाजपा ऐसी कवायद में जुट गई है।
आपको बता दें कि उत्तराखंड में कई ऐसे वरिष्ठ नेता हैं, जिनके पास राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर जिम्मेदारी है। ऐसे नेताओं को आगे लाकर संगठन उनके अनुभव का लाभ ले सकता है। उत्तराखंड में अभी पूर्व सीएम विजय बहुगुणा वर्ष 2016 में भाजपा में शामिल होने के बाद बिना किसी जिम्मेदारी के है। इसी तरह पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत मार्च, 21 के बाद से खाली हैं हालांकि त्रिवेंद्र लोकसभा चुनाव में दावेदारी कर रहे हैं। ऐसे में अगर उन्हें चुनाव लड़ाया जाता है तो फिर टिकट कटने वाले नेता को भी संगठन में फिट किया जा सकता है। इसके उलट अगर त्रिवेंद्र लोकसभा चुनाव के टिकट से चूके तो उन्हें संगठन या किसी ऐसे प्रदेश में प्रभारी की अहम जिम्मेदारी मिल सकती है, जहां निकट भविष्य में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। इसके साथ ही विधायक मदन कौशिक, बंशीधर भगत और अरविंद पांडे को भी केंद्रीय नेतृत्व में स्थान दिए जाने की भी चर्चाएं चल रही हैं। देखना होगा चुनाव से पहले भाजपा में क्या कुछ बदलाव देखने को मिलता है, और पार्टी को इन बदलाव का कितना फायदा मिलता है।