उत्तराखंड: उत्तराखंड परिवहन निगम कर्मचारियों ने संयुक्त मोर्चा के माध्यम से सरकार द्वारा उनकी मांगें न मानने पर पूर्व में दी गयी चेतावनी को यथावत रखा है। हालांकि इस पर अभी कुछ असमंजस की स्थिति बनी हुई है। रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल टालने को लेकर रोडवेज प्रबन्धन ने आग्रह किया कि उत्तराखण्ड परिवहन कर्मचारी अपनी हड़ताल को टाल दें क्योंकि प्रबंध निदेशक यहां नहीं हैं. इस कारण वार्ता कर पाना संभव नहीं होगा। इसके बाद वार्ता को 25 अप्रैल के बाद करने को कहा गया है। लेकिन मोर्चा ने उनकी बात को मानने से इंकार करते हुए कहा कि सरकार लम्बे समय से उनकी मांगें मानने से इन्कार कर रही है।
मोर्चा ने लगाया सरकार पर छल करने का आरोप
संयुक्त मोर्चा ने कहा कि सरकार उनकी मांगों को मानने के बजाय लगातार टालती आयी है। उन्होंने कहा कि बीते जनवरी माह को भी पूरे प्रदेश में हड़ताल के दौरान परिवहन मंत्री चंदनराम दास और निगम प्रबन्धन से वार्ता मांगों पर सकारात्कता दिखाते हुए हल निकालने को कहा था। लेकिन बावजूद इसके जिन राष्ट्रीयकृत और परिवहन निगम के आरक्षित 14 मार्ग हैं उन पर निजी बसों के संचालन की अनुमति दे दी। इसलिए उन्होंने कहा कि सरकार उनकी मांगों को लेकर वार्ता की तारीख तय करे। साथ ही वार्ता में प्रबंध निदेशक और परिवहन सचिव अनिवार्य रूप से उपस्थित हों। इसके बाद ही हड़ताल पर रोक लगायी जाएगी।
संयुक्त मोर्चा ने कहा कि सरकार उनकी मांगों को मानने के बजाय लगातार टालती आयी है। उन्होंने कहा कि बीते जनवरी माह को भी पूरे प्रदेश में हड़ताल के दौरान परिवहन मंत्री चंदनराम दास और निगम प्रबन्धन से वार्ता मांगों पर सकारात्कता दिखाते हुए हल निकालने को कहा था। लेकिन बावजूद इसके जिन राष्ट्रीयकृत और परिवहन निगम के आरक्षित 14 मार्ग हैं उन पर निजी बसों के संचालन की अनुमति दे दी। इसलिए उन्होंने कहा कि सरकार उनकी मांगों को लेकर वार्ता की तारीख तय करे। साथ ही वार्ता में प्रबंध निदेशक और परिवहन सचिव अनिवार्य रूप से उपस्थित हों। इसके बाद ही हड़ताल पर रोक लगायी जाएगी।