चमोली। जोशीमठ में आई मुसीबत से सब अच्छी तरह वाकिफ है। जोशीमठ में भू-धंसाव होने के कारण 30 फीसदी हिस्सा अंदर धंस चुका था जिसमें होटल, यात्रियों के लिए भवन को बहुत नुकसान हुआ था लेकिन चार धाम यात्रा संचालन के हिसाब से नगर का 70 फीसदी हिस्सा अभी सुरक्षित है। चार धाम यात्रा करने के लिए प्रतिदिन कम से कम 3000 तीर्थ यात्रियों और घूमने आने वाले पर्यटकों के ठहरने के लिए पूरे और सुरक्षित इंतजाम किये है ताकि उनको किसी भी प्रकार की परेशानी ना उठानी पड़े। मुख्य बाजार, पेट्रोल पंप से लेकर सुनील वर्ड तक करीब 62 लॉज, काफी होटल और 101 होम स्टे है जो बिल्कुल सुरक्षित है जहां यात्री तीर्थ यात्रा के समय यात्री निश्चित होकर ठहर सकता है।
अगर 2022 वर्ष की बात की जाए तो उस समय करीब जोशीमठ में 5000 तीर्थयात्री एक ही दिन में रात में रहने के लिए पहुंचे थे। जोशीमठ नगर को बद्रीनाथ धाम का प्रवेश द्वार कहा जाता है। जो भी तीर्थ यात्री बद्रीनाथ की यात्रा के लिए आता है उसको रात जोशीमठ में गुजार कर सुबह नृसिंह मंदिर के दर्शन करता है फिर बद्रीनाथ धाम की यात्रा को शुरू करता है। इस बार तो वर्ष के शुरू में ही जोशीमठ नगर का 30 फीसदी हिस्सा भू-धंसाव की चपेट में आ गया था जिससे वहा के लोग बिल्कुल डर गए थे लेकिन अब प्रभावित क्षेत्रों में भू-धंसाव काफी काम हो गया है। अब की बार बद्रीनाथ के कपाट 27 अप्रैल को सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर खोल दिए जाएंगे जिससे तीर्थ यात्री दर्शन कर सकेंगे। बद्रीनाथ में अब तैयारियां शुरू कर दी गई है।
जोशीमठ के प्रवेश द्वार सिंहधार वार्ड और इसके पास में मनोहर बाग, मारवाड़ी व सुनील वार्ड का कुछ हिस्सा भू-धंसाव की चपेट में आया है लेकिन इससे आगे का 70 प्रतिशत नगर क्षेत्र अभी सुरक्षित है। ऋषिकेश से बद्रीनाथ धाम तक तीर्थयात्रियों की काफी चहल पहल देखने को मिल रही है। तीर्थयात्री सुबह ऋषिकेश से अपना सफर शुरू कर रात में रहने के लिए श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, चमोली, पीपलकोटी, हेलंग और जोशीमठ जाते है। पीपलकोटी (गडोरा और मायापुर तक) इस समय में 45 होटल हैं, जिनमें 750 कमरे यात्रियों के लिए है और यहां 2500 से 3000 तक तीर्थयात्रियों के ठहरने की पूरी व्यवस्था की गई है।